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वस्तुपाल केरा नंद || ला० ॥ वस्तुपाल तेजपाल ए संतति ॥ ० ॥ कुलमंगन रवि चंद ॥ ला० ॥ ए ॥ म० ॥ जावी पदार्थ नवि टले ॥ म०॥ सरज्युं फले कपाल ॥ म० ॥ जिनमंदिर आबु नीपावीयुं ॥ म० ॥ सामली गहुंली अकाल ॥ ला० ॥ १० ॥ म० ॥ वास्तुक शास्त्र पंकित जण्या ॥ म० ॥ तेणे इस्यो कस्यो विचार || ला० ॥ अजरामर देहरुं कहुं ॥ म० ॥ नहीं पूंठे तेहनो परिवार ॥ सा० ॥ ११ ॥ म० ॥ हवे वस्तपाल मंत्री जइ उपन्यो | म० ॥ तेहनो कदेशुं विचार ॥ ला० ॥ वर्द्धमान सूरि गुरु तेहनो ॥ म० ॥ ते जाणे
थिर संसार || बा० ॥ १२ ॥ म० ॥ वैराग विशेषे आदरयो ॥ ० ॥ चित्ते धर्मी दतो वस्तुपाल ॥ ला० ॥ हवे तपक्रिया बहुली करी ॥ म० ॥ वर्द्धमान ठेली रसाल ॥ बा० ॥ १३ ॥ म० ॥ बध - हम आंबिल करे ॥ म० ॥ एक दिन अनिग्रह लीध ॥ ला० ॥ श्रीशंखेश्वर जिन नेटीने ॥ म० ॥ पढे पारणे यांबिल कीध ॥ ला० ॥ १४ ॥ म० ॥ ईर्यासमिति गुरु चालता ॥ म० ॥ अग्नि उठी गुंफाल ॥ ला० ॥ सूर्यतपे तृषा घणी ॥ म० ॥ अग्रिह सहित करे काल ॥ ला० ॥ १५ ॥ म० ॥ ध्यान धरे
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