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हय गय पायक लख जणुं ए, वे सहस्स गुणिजन गाय ॥ ० ॥ २ ॥ मुहूर्त्त जले मंत्री श्वर संचरे ए, संघ चलावे मोटे मंगाए ॥ म० ॥ ढम ढम ढोल त्यां वाजता ए, वाजे वाजे अति निशाण ॥ म०॥३॥ सखरी सोहे सोवन पालखी ए, तेहने माणिक मोती हीरा साज ॥ म० ॥ निज मायने त्यां बेसारतो ए, मंत्री सारे पोतानां काज ॥ म० ॥ ४ ॥ तुरंगम चार सहस्र चालता ए, तेहनी कोटे सोहे घूघरमाल || म० ॥ बे सहस्र रथ वली जोतस्या ए, वृषन धोरी सुकुमाल ॥ ० ॥ ५ ॥ तेहने पाये सोवन जांजरी ए, रतन जर्मित शींगमां सार ॥ म० ॥ रण ऊण रणके चंग जलाए, अंगे विलाई मींदी ते वार ॥ म० ॥ ६ ॥ पंच शब्द बहु वाजता ए, बिरुदावलि बोले सहस्र जाट | म० ॥ हवे देव गुरु वांदी चालीया ए, चाले धर्मनी वाट || म० ॥ ७ ॥ सेजवाला सह
बावीश मिल्या ए, चार लाख पोठी जाण ॥ म० ॥ चार सहस्र नेजा आगले ए, सुखासन दो सहस्र वखाण ॥ ० ॥ ८ ॥ एकसो सिंहासन शोजतां ए, साथे देवालय एंशी सात ॥ म० ॥ शेत्रुंजा पर संघपति ए, संघ यावे यावे आबु प्रजात ॥ म० ॥ ए॥ गढ
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