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(५४) दारोजी॥१॥ दान०॥ए आंकणी॥दीनदयाल दोहिला बला, दान दे करे उपगारो जी ॥ दान अव्हारी मंत्री दीए,धन्य धन्यतुजअवतारोजी॥२॥ दा॥योगी संन्यासी कापमी, जगत जरमा दरवेशो जी॥ शेषयंदा जंगमी कहूं, ब्राह्मण 'जात विशेषो जी ॥३॥ दा० ॥ गंध्रव चारण जाटवली, थावे जाचक तेह विशेषो जी॥ मुह माग्युं मंत्री दीए, जश वाधे देश प्रदेशो जी॥४॥दा॥ मेघ तणी परे वरसतो, वधता पुण्यअंकुरोजी ॥मोद तणां फल ते दीए, दान देश न करे शोरो जी॥५॥ दान॥नगर ढंढेरो फेरवे, पालो जीव अमारोजी॥नूख्यो तरष्यो को मत सुर्ड, आवो प्रधान दरबारोजी॥६॥दा॥चोर चाम पूरे करे, जोर जूवटुं नहीं बिगारो जी॥धर्मी राजा जाणीए, एहवो प्रधान उदारो जी॥७॥दा०॥ जाचक जन जश बोलता, नोजन करी दीए आशीषो जी॥ कर्णराय विक्रम हुआ, तेहनो तुं अधीशो जी ॥ ७॥ दा ॥खामिवत्सल मंत्री करे, अन्न पान बहुला पकवानो जी ॥ सुकृत पुण्य पाते नरे, देह वाधे बह वानो जी॥ए॥ दा० ॥ जग जश कीरत विस्तरी, महिमा वाध्यो मेरु समानो जी ॥ दान
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