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________________ ( ४८ ) दिन राजा दीए आदेश, उणी तुम्हे करो प्रवेश ॥ वचन प्रमाण करी वस्तपाल, सबल सेना लेइ चाट्यो ततकाल ॥ १० ॥ मालव देश हवे यावे जाम, एक लाख बाएं बे वली गाम ॥ प्रधान यावी उतरे यदा, उझेणी धणी मिली तदा ॥ १५ ॥ लेइ सलामी मनावी याण, प्रधान चाल्यो मरु देश सुजाण || नव कोटी मारु पोते करी, मंत्री यावे मेवाडे फरी ॥ २० ॥ ॥ छंद ॥ ॥ हवे आव्यो मेदपाट मंत्री श्वर, देशधणी राणो महा दुर्धर ॥ ण न माने तेहज केहनी, कहे व आप न मानुं एहनी ॥ १ ॥ तव मंत्री लेख लिखे शुज लायक, डूत मोकलीन तिहां महा वायक ॥ तब ते त ज लेख देतो, वांची राजा रीसे वधतो ॥ २ ॥ रे रे दूत कुण बे मंत्री श्वर, तब बोल्यो दूतज कवीश्वर || सांजल राणा तुं मुज वात वस्तुपाल तेजपाल वे जात ॥ ३ ॥ देश वैराट धवलकपुर मांदे, राज्य करे वीरधवल उबाहे ॥ तेह तथा ए मंत्री लहीए, महा सुनट वमवीरज कहीए ॥ ४ ॥ तस बल सर्व कहुं ते मांगी, मूको मन श्रमिमानज बांकी ॥ म्लेख " Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003691
Book TitleVastupal Tejpal no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1920
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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