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________________ (४६) मंत्रीने मान ॥ सजा पूरी ते बेठा यदा, एक वात वली हुश् तदा ॥१॥छूत मोकले त्यां सोरठ धणी, धवलका नगर वारधवल नणं।॥आण माने अम्हार। आज, नहीं तो विणसे ताहरां काज ॥२॥ हस्ती अनोपम मोकले हसी, अम चाकरी तुम्हे करोजबसी॥ मोकलजे बीजी वस्तज घणी, नहींतर थाशो खरा रेवणी ॥ ३॥ वात एहवी तुं कहेजे खरी, कागल देजे आदर करी ॥ राज करवानुं जो तुम्ह काज, सघली वस्त मोकलजो आज ॥४॥ वीरधवल बागल उनो रही, एह वचन तुं कहेजे सही॥ ठूत आव्यो धोलका मांहि, सजा पूरी राजा बेगे ज्यांहि ॥ ५ ॥पूत लेख ते आप्यो जिसे, वांची लेख छूत होक्यो तिसे ॥ अपमान्यो ठूत काढ्यो सही, निज नगरीए त गयो ते वही॥६॥छूत जर विनवे निज नूप, अपमान्यो कहे सकल सरूप ॥ तव बोले सोरठनो राय, हुं वीरधवल लगायुं पाय ॥७॥ ते राजा रीसे धमहडे, वीरधवलने को जश्ने नडे ॥ सबल साज सेनापति करे, एक लद हस्ती अश्व पाखरे ॥ ७॥छूत काढ्यो राय देश अपमान, हवे राजलोक थया सावधान ॥ हस्ती घोमा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003691
Book TitleVastupal Tejpal no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1920
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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