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(३ए)
॥ ढाल॥ ॥साहेलमी ए॥ए देशी ॥ हवे नर नारी सुख जोगवे साहेलमी ए, पूरव पुण्यपसाय ॥गुणवेलमी ए॥ सखसागरमां कीलतां॥सा॥जातो न जाणे काल॥ गुण ॥१॥ पद्मिनी पोयण पातली ॥ सा॥ चंपाव देह ॥ गु० ॥ हाव जाव पीयुशुं करे ॥सा०॥ शीयले करी सीता जेहं । गुण॥२॥ मुख शारदको चंदलो ॥ सा ॥ अधर प्रवाली रंग ॥ गु० ॥ दांत पांत हीरा जिसा ॥ सा ॥ नयणे हराव्या कुरंग॥गु०॥३॥जीन जिसी पोयण पातली ॥सा॥ बोले अमृतवाणं। ॥गु० ॥ काटमेखला खलके नल। ॥ सा॥ सिंहलंकी सुजाण ॥ गु० ॥४॥ केलथंन जंघा जिसी ॥ सा० ॥ कणेर कांब तिसी बांह ॥ गुं०॥ आंगली मगफली पातली॥ सा ॥ स्तन जेसा श्रीफल त्यांह ॥ गुण ॥ ५॥ नालिकूपी रविवामणी ॥ सा ॥ देह अमीनो कंद ॥ गुण॥ काने कुंमल रतने जड्यां ॥ सा ॥ नीलवट चोड्यो चंदा ॥ गु० ॥ ६॥ मस्तक राखमी शोजती ॥सा॥ वेणी जिसी नागण जाण ॥ गुण ॥ नवसर हार ते पढेरती ॥सा॥मांहि मोती अनोपम जाण ॥
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