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________________ ( १०२ ) रलियामा, पांत्रीश ढाल विशाल ॥ ७ ॥ परउपकारी महावीर कह्या, तास्यां बहु नर नार ॥ वीरपाट पट्टावली, अनुक्रमे कहुं उदार ॥ ८ ॥ || ढाल ॥ राग धन्याश्री ॥ धन्य धन्य शील शिरोमणि ॥ ए देशी ॥ वीरश्रेणी पट्टावली, सुधर्मा जंबू कुमारो रे ॥ प्रनवखामी सिद्यनव सूरि, पंचम जसोनद्र सुखकारो रे ॥ १ ॥ वीरपट्टोधर जाणीए, श्रीसुधर्म जंबूकुमारो रे ॥ वी० ॥ ए यांकणी ॥ संभूतिविजय जप्रबाहु वली, थूलन सातमो शणगारी रे ॥ श्रार्यमहागिरि सुहस्ति, पाट अष्टमे दो गुणधारी रे ॥ २ ॥ वी० ॥ तस पाटे सुस्थित सुप्रतिबुद्ध, दशमें इदिन्न सूरि कही ए रे || श्री दिन्न सूरि श्री सिह गिरि, तेरसमा वज्रखामी नही रे ॥ ३ ॥ वी० ॥ श्रीवज्रसेन श्रीचंद्र सूरि, सामंतन सोल वखाणो रे ॥ श्रीवृद्धदेव प्रयोतन सूरि, मानदेव मानतुंग सूरि जाणो रे ॥ ४ ॥ वी० ॥ श्री विजयदेव आगे हुआ, जयदेव देवानंद मने आणी रे || विक्रम सूरि नरसिंह सूरि, समुद्र सूरि वीश वखाणो रे ॥ ५ ॥ वी० ॥ मानदेव विबुधप्रज सूरि, जयानंद रविप्रन होय रे ॥ जसोदेव प्रद्युम्न सूरि कहुं, तेत्रीशमा मानदेव जोय रे ॥ ६ ॥ वी० ॥ For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Educationa International
SR No.003691
Book TitleVastupal Tejpal no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1920
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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