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________________ (३१ ' लांज्योन्नमो नाएास्स भगाएं गशियें, विधि सहित तपडीनेंट गाडीसट घरी जीन्मएं उरतां, पंचमी गति सुज सीतें लाआपथमीनुं तपले नर अरशे, सान्निध्यउरे संजार्ध का होसत घर्ष अधिङसवार्ध, हेवी ये मुरार्ध लगातपगच्छ जंजर हिनदुर सरिजो, श्रीविजयसिंह सूरीश न्ााबीरचिन्ग्य पंडित अविशन्न, विष्णुष सहा सुन्गीश लामा ॥ जथ पंयमी स्तुति ॥ ॥शत्रुन्ग्यगिरि तीरथसार ॥ मे देशी ॥ श्रीन्निनेभी निनेसरस्वामी, भेड भनें जाराघो घामी, प्रत्तु पंचभगति पानी पंचप उरे सुरसामी, पंचवरए उसशेंन्सनाभी, सवि सुरपति शिवामी ॥न्न्म महोत्सव उरे छेद शिएगी, हेवतएगी जे अरणी न्नएगी, लक्ति विशेष व जाएगी।नेमल पंचमी तपडल्याएणी, गुएामंन्त्री वरहत्त परें प्राणी, उ श्योलाव मन भाएगी। शानष्टापः श्रोवीश निएांह, समेत शिजरेंवी शघुलनविवंद्य, शत्रुन्ग्य नाहिरिएांघीकृष्टश सत्तरीसय निध नव डोडी डेवली ज्ञान हिांह, नव जोडी सहस भुशिंघासांप्रतिपीशनि एह सोहावे, होय डोडी डेवली नामघरावे, होयडोडी सहुस्स मुनि उड़ावे ॥ ज्ञान पंथमी जाराघो लावें, नमी नाएास्सन्पतां दुःजन्नचे, मनवंछित जथावे ॥शाश्रीनिवाएगी सिध्यांतें बजाएगी, न्नेयए। लूमिसुएणे सवित्रा एसी, पीलयें सुधा सभाशी ॥ पंचमी श्नेऽ विशेष वजाएगी, जन्तुनाबी स घसी खेली, जोसे डेवल नाएशी पालव लव परसें जेङङरेवी, सौलाग्थ पंयमी नामें जेवी, भासे ने अहेवी पंथ पंथ वस्तु हे हरे ढोपी, खेमसा डायवर्ष प्रेरेपी, आणभवाएगी सुएरोबी । आ सिंहगमनी सिंह खंडी जि राने, सिंहनाह परें गुहिर जाने, बहन यह परें छाने । उटि भेजला नेीर सुचिराने, पाये धूगरा घमघम चाने, चालती बहुत हीवाने गगढ गिर नारतएगी रजबाला, अंज लूंजन्नुति संजाजाला, घ्नति धतुरा पाया सापयभी तपसी उरत संभाला, हेवी पाल विभत सुविशासा, Ja Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003689
Book TitleJain Kavyaprakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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