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________________ ( ૨૭૨) रूप म्हे हम सेत जसैयां ॥ होरीनायातिए वसंत घनाशरी ।। भेउ सभे घनशामजी सुंदरी, नेमसेंच्या हुडी होडन्युं जांघी ॥भेज्नायूवेडोजीथ इसेसी रेसो, गुखासड़ीमेह अजिरडी गांधी ॥भेज्नाशा सोधेडो नीर सीजे सज जाता, गाती धमास नैन रस साधी ।। भेङनाशात्रीयाडो जेल हेजी भुसा ने, मान्यो ज्याह अंतरडी साधी । जेङना आज्याहुहूं छोड यसे गि रनारी, समाधी गेहु चरएा आराधी ॥ नानाश्भ धूर सीजे शिव सीसा, ज्ञान डीद्योतङलागुए। जाषी ॥ जेङनापा ॥ हेरी बाभासुत ध्यान घरो, भोरी भाई, श्ररए। रंग जेसे होरी वाभासुतणावैर संभारी श्जसुरतव नायो, घन गरनत जरशत घोरी वाभागाशापवन लत चेपणा अति श्रभडत, कुंडल हादुर पीङमो नीर जढत प्रलु ध्यान पढत हे, उछीन उरभ सांम्स तोरी एवाभा आशा धरणी घर पती चंदन निम्श्यो, साथ सीजे जिनिता लोरी॥आ जे मलुझे शरण ग्रह्यो है, असुर गयो निन्न भह छोरी ॥वाभागाआ लम्ति उश्त सुर जहु निनवरही, तास गृहंगयांग जोरी ॥ जेड गावत जेऊ जीए। जन्नवत, भेङनायत मधुपरे गोरीगानाजजघातीक्ष यज्ञान पीद्योतगुन, पीससित सुर सज उरन्नेरी ।लक्ति लावनाट डल सभक्ति, पायो नि अनुभव न्नेरी ॥ वामानाचा ति सुमति सहा सुजा हो जेसन मार्च होरी, जेसन जार्धप्या परी जेलन जागा सुभतिणापूएानिंद सुजहपीयु संगें, सज सजीय न मिला हो। जेसन गाशा निनगुन जागमें सहुन जसंते, भोन भयी मनलाई हो जेसन गाशा ध्यान समाधि लवन में जेठे, रसलर जे से गोसार्थ हो । जेसनगाआ प्रलु खाना शिर छत्र जिराने, दुहुनय यभर ढरार्ध हो । जेसन गानामागम जीन संगीतें जहुराम, जा न्त विविध जन्म हो । जेसन गापशांत सुधारस प्याले पीवन,आनंद सीस नभाई हो ।जेसनगाझाया विघपीयु प्यारी भिलि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org --
SR No.003689
Book TitleJain Kavyaprakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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