SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 483
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - - (१५ ) वभिलावे भिषाचवीनापासमवसरण जेठेतनतपर,भो ए इरभावे भावेवीगाहावीर चीरसवते वीरभक्षर, अंतरति मिर हरावेहरादेवीगागाईलूति अनुलवडीसीला,ज्ञानविभत गुएरागावेहोणावाचीगाटासससुरासुरहर्षित होवे,न्नुहार र एउँमावेहोभावेशवीगालातिए . । राणाशाप पहेलगामति लिएस्सुंयारीरे, भोहे टीसमें प्यारी एमगातुरभुनसुंघरहेजीसुजउरतनधन भनउवारी भननितर महोनिशिषयलाशी,हीतुभे शिवसुनहारीशमोहेगा गसशेवर उभसजी रवि विशेअभपुषसघारीअनुलवना तमधुश्मरंगी,ताडे तुमणपणारीवाभोहेगाशाजशनिलजील्यु दिविलासी,भीनमहत्तयारी भोरजपयाजारिघरटनामा निग्रहो भनसारीरेभोनागाशर जर्यित मंगसुरंगा, गविशा सभनीयारी एभेरीलगतिलली परेप्यारी गतिहेमज तिहारी रे मोहेगानाभहिर उरी मेरे मन निंतर,माय भिसेमविकासून रिणघ्यशुईथरए पसाय, उपापिणतिहारीगाभोहेगापा पहजीन्तुंगभेरे हील पासणस्यो है,न्युंथातुल्सघाशा मेगाब्युशहंस भानस मंदिर ,नसीरयोभान संसाशाभेगा। गर भनरेवा मधुपन्योंभालती,ल्यों ओडिस सहाशाभेगा भुध न्यायथंनन्यों लोणी,न्यों भरविहिनकाशाभेगाडागिरित नया टीसन्युशंभर, उभखाडे हिसागिरधाराभेगाचात्युंभेरे मन तुंही तुंही,तुरसभरनईसारााभेनापाब्यब्यातहीवार पर बिलवनग्नसहजासमेगाहरापासथिताभनत्लान साहि ज,संघ ससन्यास भेगाणा पत्रीन्दुराजनहेभोयेनेभशुमानी,हारे पीयासाभ भानीराजनहेगारान्नुसभ सजीयशंजोसे गांजथी पूर/ हो होसयानी हेजगाशाजनुपभनागसोलागहमारो,पायोनेभा Jan Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrar larg
SR No.003689
Book TitleJain Kavyaprakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy