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________________ - (re ॥जयशाषितृतीयाध्ययन स्वाध्यायप्रारंलः।। ॥पये महाव्रतपातीगनेशीपमाघाउभीमाहारनली निशिलोन्ननपिउरीयारान्यपिंऽने शय्यातरनो, पिचली परिहरि येंगशामुनिवर मेभाशअनुसरीयें,लेभलवल्लनिधितरियन निगामेमांडपीसाभोमाएयोमाहारनसीरें, नित्यपिउनविभपा रिया शीर्षच्छाभेमपूछीमापे,तेनविभंगीडीयेंगाभुगाशाउंछ भूषसजीनप्रमुजवी, खवाहिक सचित्तावर्जियेतेभवतीनपि || राणीने तेहसन्निध निमित्ताभुगाडाणाहणुं पीडीपरिहरियें, स्मा नहानविडीयगंध विखेपन नविभायरीयें,जंगउसुभनरिधन रीयेंडेगामुगाचारहस्यनुलाननविवावरीय, परिहरियवतीमा लरणाशयाउारण छनन घरीय,घरेनवानही थिरएाभुगाचा घतएनउरेपानघरे, जेनपि निपातेल भोपडीयेनगंडसी नडीरें, टीने नव धूपडेगामुगारामांची पर्वणनविणेसीलें। नवीग्रोवायएगृहस्थगेहेनपिसीने, पिए आरएसमुघयडेगामुन एणावभन विरेचनरोणपिडित्साजिग्निभारंलनविहीगाशोगहां सर प्रभुजले क्रीडातेपएसपि चर्ल गाभुगटापांच यिनि यशभापीने, पंथाभय पथ्यानीगापंपसमितित्रएशुप्ति परीने, छडायरक्षाते डीभुगामाणिना भातापनापीनेशीमा शीत सहीयेंगशांतघतथई परिसह सहेवा थिरवरसालेरही डे एभुगापयामपुकार उणीजहु उस्तां, परतालावासी उरभ जपाचीईजा, शिवरभएी सुविलासी गाभुगापाशवैशाखिड बीने अध्ययने,लांज्योहमायारावालविनयशुइयरए पसाये, वृध्धिपिल्यव्यारा भुगापशा पति - - ॥ अथ शिजाभएनीसजाय ॥ ॥ पून्न ध्वशुरै सेवा उरणा उपट परचन परिहरणापाणे-|| J Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibraridg
SR No.003689
Book TitleJain Kavyaprakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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