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ने कुंलारएा, योगए। संगन उरिखेंका। सेहनें डोधी खाल पैढावे, मेव शानें परिशें ॥सुनाश्शा निन लरतार गयो देशावर, तवशएगणारनघ रिजेंछानभवानाति वर्थे नविन्नर्धों, दुर्नन हेजीडरिखें ॥सुनाश्शाप रसेरी गश्मो गावाने, भेसे जेसेननीजें लानावएा घोवएानहीडीना रे, न्नतां निर्लन थर्धने॥सुनार आपण पडते पणे पाल यासीनें, हुनर कुसीजीनेंलास्मान सुवस्त्रें रसोई करीने, हान सुपायें हीनें ॥सुनार शोउतएगां लघु जासङ हेजी, म घरो जेह हिया में छा तेहनी सुजशीत लग्नाशीसे, पुत्रतएगा इस पामे॥सुनारपाजार वरश जासङसुरपडि मा, मेजेसरिजांङहिमेंळालस्तिङरे सुजलीला पाने, जेहम्रे दु:ज सहिग्नेंासुगाश्झानर नारी जेहुनें शिजाभएा, भुज सबरी नवि हसि में लानाति सगानां परथंडीने, खेडसडानविवसिखें॥सुगारणाव मनपुरीने चिंताआसे, नजसे आसन जेसीविहिशे दृक्षिएाहि शश्नंधारे, जोय्युं पशुओं पेशी॥सुगाश्वाखएान्नएये ऋतुवंती पानें पेट जलरए बेसाला भाजशें लोन्ननविडरिग्ों, जेनएाजेसीले सांपासुनारणााग्मतिशय बीनुं जारें जाएं, शाऽ घणुं नविजाबुला मौन पो डीडी गएावरल, नभवा वेसा नाहाबुं ॥ सुनाउनाधानच जाएगी वजोडी न जावु, तड्डे जेसी नन्भर्चुला भांहापासें रात त लने, नरगां पाएगीन पी॥ सुनाउशाउं भूल अलक्षने जोलो, वा सी विहस ते वर्लेक ।न्नूह तन्ने परनिंदा हिंसा, जे बसी नरलव सर ॥सुनाउशाव्रत पय्यैज्जाए। घरी गुरे हाथे, तीरथ यात्रा उरीकों लपुएयजीयन्ने भोटो प्रगटे, तो संघवि पर घरीनें ॥सुनाउआभारगमां भनभोङसुंराजी, जहु विघ संघ न्ग्भाडोलाासुरलोडें जसघलां पाने, पए नहीं जेवो हाहाडी ॥ सुनाउनातीरथ तारएाशि वसुजडारएा, सिध्यान्यस गिरनारें का मलुलग्तिगुएाश्रेो लवन् स, तरीजें भेङ नवतारें ॥ सुना उपलोडिङसोङोत्तर हितशिक्षा, छत्रीशी में जोसीला पंडित श्रीशुलपीरविन्ग्यभुज, वांएगी मोहन वेखी सुनाउ
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