________________
( ४३९ )
हे पाणी ॥साज पोराशी गन रथ सोहीयें, सुरता धर्मशुंलागी लगा शायार ङरोड भए। जन्नन डीपडे, सूएरा घ्श साज भए। लागे ॥निन डगोडुस दूने, जेड डोड हस सागी ।लगा आसहस जत्रीश देश चडला गी, लये सरवडे त्यागी ॥ छन्नुं डोड गामडे अधिपति, तोहे नहुनास राणी लगानानवनिधिश्तन योगडा जाने, भन चिंता सज लांगी। इनड डीरत भुनिवर चंहत है, हेन्ने मुक्ति में भागी ॥ लगाया छति॥
॥ जय जाहुजसलनी सञ्नाय ॥
॥ जहेनी जोसे हो, जॉहुजस सांसो का डा ईडा रंगनिधाना गयवर थढिया हो, डेवल प्रेम हुवेन्नएयुंन्नएयुं पुरष प्रधान॥जना तुन सभ डीपशम लगभां हुए। गोल, जडस निरंन्ग्नहेबालाईल रतेसर बाड़ासा चीनवेल, तुण्ड अरे सुरनर सेव॥जंगशालश्वरसा सो हो, वनभांचेडीयो कानिहां घणां पाएगीनां पूशा अरमर वरसे हो! मेहुली घागय्या पुएय मंशा जगाआप हिसी चींट्यो हो, वेसडी में पकाने वाहस छायो सुशाश्री जाहिनायें हो, भने भोडप्यांन्तुभ प्रतिजोधन नूरााजनानावर संवेगरसें हो, भुनिल श्याला पाभ्युं पाभ्युं डेवल नाए। ॥भाए भुनि नस नामें हो, हुरज्यो घनाहिन हिन पढतो छेवानाजगाचा ति
॥ अथ ढंढरा ऋषिलनी सञ्झाय ॥ ॥ ढंढए। ऋषिन्लने वहएगा।हुंचारी खास । बीसृष्टी भएाणाश्रेश कुंवारी साला अलिग्रह सीधो नाउरो ॥ कुंवारीणासन्धे सेशुं नाहार शाहुंवारी लाल रंगाशाहिन प्रतिलवे गोथरी । हुंगान मलेशुध्यमा हार रेहुंगान सीमे भूस असूरतो ॥ गापीनर बोगात रेशाहुंगा ढंगाशहर पूछे श्रीनेभने।हुंगा भुनिवर सहसम्भढाररे ॥ डुंगाीकृष्टो डोएा हमें गहुंगामुन्ने हो कृपास रे । हुंगाढंगा आढंढए। जघिओघ
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org