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माहिङ दूर राते प्रलु पून घ्यानथी, राम उड़े सुज पूर आर्धतिदुः
।। जय स्तुत्यधिङार प्रारंभ: ।।
॥ अथ सीमंधर निग्न स्तुति ॥
॥ सीमंधर स्वामी निर्भता, तुम ज्ञान बीपनुं जेवला ॥ सीमंधर स्वामी तारतार, मुळ श्यावाश्रमन निवार वार ॥शासीतेरशो निन पर बंहीयें, न्ग्स नामें पाप निरंहीयें ॥ सांगत ग्नि सोहे पीशसार, ते लवियए। बंधेवार बार शान्निवाएगी साउर सेजडी, पीतां नये अमृत वेलडी ॥ न्निनागभ सागर सेवतां, सही विद्या रथए। सोहा बता आसीमंधर निनपह जनुसरी, श्रीसंघप्रत्यें जहु सुजरी। उनअलासा शासन सूरि, द्यो पंडित हेवी पतंगाचार्धति॥शा
॥ अथ सीमंधर प्रभुज बियरता निननी स्तुति ॥
॥ श्रीसीमंधर सेवित सुरवर, निनवर न्ग्भ न्यारील धनुष्य पांयशें उंचनचरणी, भूरति मोहनगारी लाविवरता प्रभु माहाविहेहें, लविन्निने हितअरी कामेहु बीडी नित्यनाम नपीनें, हृध्य उभसभां घारी कशा सीमंधर युग जाहु सुबाहु सुन्नत स्वयंप्रल नामका अनंत सूर विशास वनंघर, यंानन अलिराम लायं लुनंग ईश्वर नेभि प्रल, वीरसेन गुएाधाभन्द महालहने हेवयशावसी, सन्ति उरं प्रणाम कशामलुभुज वाएगी बहुगुए। जाएगी, भीडी अभीय सभागीला सूत्र जने ज ये गुंथाली, गएाधरथी वीर चाएगी काडेवसनाशी जीन चजाएगी शिवपुरनी नीशाणी काीिसर आएगी हिलमांहें लशी, व्रत उरो लविभाएगी का आ पहेरी पोसी यरणां योजी, यापी यात भरा लीन्गा अतिश्पाजी अघरमंचासी, जांजडली आएगी खालीला
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