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न्ग्नहुर तन्ग्नां ग्निवर लग्नां, सन्ना तिनमुंहसार्धगानवसर हार गलेमें रोजनां, न्ग्जनां सजङी ङरार्धणासुनापाशिरपर भुगट चभर ढोलार्ध, अभ घर रंग धागा श्रीशुलवीर विनय घरन्नर्घ, होतस नाजी सावार्धतिया
॥ अथ नापस्वलावनी सहाय ॥ ।। ग्नापस्वलावभांरे,ग्नजधू सहा भगन में रहना ॥निगत बहे उश्माधीना, जयरिन्न उछुजन सीना ॥माणाशा तुं नहीं डेरा डोर्ध नहीं तेरा, ज्या हरे मेरा मेरा । तेरा हे सो तेरी पास, जवर सजे जनेशा जाणाशाचषु विनाशीतुं अविनाशी, अज हे निमुं चिला सीवपु संघन्ज दूर निङ्गासी, तज तुम शिवडावासी ॥ नागाआश गनेरीसा होय जवीसा, जे तुभदुः जङा हीसान्जि तुम डीनडुंदूरङ रीसा, तज तुभनगडा ईसानागाच्या परडी नासा सहा निरासा, जेहेन्गन्नपासाातिडाटनडुं डरो जल्यासा, सही सहा सुजवासााखानाचा उजहींड डाल उजड़ीङपाल, उजहीं हुआ अपना लाजहींउ नगमेंडीर्त्तिगाल, सज पुछ्ङ्गसङी जालनावादाशु व्यतीपयोग ने समताघारी, ज्ञान ध्यान मनोहारी॥उर्भसं दूरनि वारी, छपपरे शिवनारी ॥ जागाणा ॥र्धतिय
॥ अथ सहन्ननंहीनी सहाय ॥
॥ जील जसरए। लावना। जे देशी । सेहेन्ननंहीरे जात भा, सूतो अंधे निश्चिंत रेशा मोह तथा रशीया लभे, न्नण लगभतिवंतरे, सूंटे नगतनांतरे, नाजी वांङ जत्यंतरे, नरडावास उवंतरे, शेर्घ विरसा जीगरंत रे । सेनाशा राग द्वेष परिएातिलक, भायाङ पट रायरे ।डाश कुसम परे लवडी, शेडट ननभ गभायरे, माथेलय नभ राय रे, श्यो भन गर्व घरायरे, सहु खेङ मारगन्लयरे, ओ
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