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राम नवपद घ्यावे, पर्म खानंद पावे ॥ नव लवशिव लवे, हेवन रलव पावे॥ ज्ञानविभल' गुए। गावे, सिध्ययक प्रलावें॥ासविदुरि तडीपशभावे, विश्व न्ग्यद्वार पावे॥या
र्धितायना
॥ जय शांतिग्नि चैत्यवंदन ॥
॥ सहसकुशलवल्ली पुष्करावर्त्त मेघो, दुरित तिमिर लानु: ष्पवृक्षोपभानः गालवरसनिधिपोतः सर्व संपत्ति हेतुः सलवति स ततं वः श्रेयसे शांतिनाथः ॥ १ ॥ सुधा सुंदर वाग्न्योत्स्ना, निर्भपीट नहिड्नुजः॥भृणलक्ष्मातमः शांत्यै, शांतिनाथोग्निोस्तु वः॥ाशा चिहान हैडपाय, निनाय परमात्मने । परमात्मप्राशाय, नित्यं सि घ्यात्मने नमः ॥आग्जन्यथा शरएां नास्ति, त्वमेवशरणं ममत स्मालारएालावेन, रक्ष रक्ष निनेश्वरा नापाताले यानि जिंजानि, यानि जिंजानि लूतले । स्वर्णेपि यानि जिंजानि, तानिचंहे नि रंतरम्॥चा तपा
॥ अथ श्रीशत्रुन्ग्य चैत्यवंदन ॥
॥ श्रीशत्रुन्य सिध्यक्षेत्र, हीडे दुर्गति बारे ॥लाव घरीनेलेय ढे, तेने लवपार तारे ॥शा अनंत सिध्धनो से हाभ, सहल ती र्थनो राया पूर्व नवाएं। ऋषल हेव, न्यांडविया प्रलुपाय शा सूरन कुंड सुहामएगो, डविडक्ष जलिराम ॥नालिराया कुल भंड एगो, न्निवर उई परलाभ || आर्धति॥चा
॥ श्नथ योवीश ग्निनावनुं चैत्यवंदन ॥ ॥ पप्रप्रत्लने वासुपूज्य, होय राता उहियें। संप्रलने विधिनाथ, होन्वत सहियें ॥शाभल्सीनाथने पार्श्वनाथ, हो नीला निरजा भुनिसुव्रतने नेमनाथ, हो संग्न सरिजाशाथो
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