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________________ ८७८१ भलउड़े नित्यनित्यभराभुंतारतार लवतीरयसभामा ___॥अथ तृतीयप ॥ एयापुङ्गवा ज्या विसवासा,या पुराज्यापिसवान सासुपनेहासाशाथागाटेअयिभतार बिल्ली जैसा,पानीणि विपतासापयाहिशगनउरना,नंगबहोयगावासायानान्मू तिन धनन्नूहन्नेजननूहे घरवासाण्यानाशाभानंहघनले सनहीन्नूके साथा शिवपुरवासा गया पति। ॥ अथ चतुर्थपई॥ पायो ससहिर पियन हिचानहेगनायोगटेगपाणि के गेट पचनडे अंशुरेशचान भंडारा होमागाशापांयमीयों पत्रेवीशतर,नगरीहूं उत्तहेरानाभागाशाप्रन्नपुरसुनीतवनयो, पेतनरायसुन्ननगाभागागाग्यानो नजयनरसलेहाथभेलालभान है।भागनारपयंडहे नाथ निरंजन, समताभानशुभान है।जागापा पति। ॥ जयपंथम पर भेतो गिरनारगढलेटएन्नणंगी। तो गिरनारगाटे हमवसर भन्नुयोगपियात्यो,हअवसर नपाणशीएभंगा सपासजीयनसंगमहारसपियरेपरननायित्तपणाशीभेगात्रा हुत हुमलुभोक्षसिध्याये,जनहिडेगुनगाणंशीरा गाउाप ॥ अथषष्ठ पर भाभेरोभनतेशेनंहहु उंचनवएं उभरा हललांछन, जितनैनाराभाई मेरोगाशापंचरण मनहरणवरएताभ|| - - Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary
SR No.003689
Book TitleJain Kavyaprakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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