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________________ (3७४ ) न्नपी शेश्रृंत सभतीर्थनहिंजोसेसीभंघरवापीराधारेगावापू वनपाएं सभोसस्या स्वामित्रपलनिवाराभपांऽवसौयांग्या पाभ्यापरभानंधापीरेनानापूरवपुष्यपसाण,पुंडरिकगिरि पाया|तिविनयहरजेंडरी विभलायसशुराणायाधीरेधपण - । ॥ जय द्वितीयप। ॥प्रथम निएंडन्नुहारिय, मनशुध्यपरिणाभाटेगापूने प्रणभे लापशुपंछित श्वपाभप्रथभनागनगनायऽनगपरगोन्नुगर्भ साहिलिएंघान्नुशवाघरभानिवारीमो सेवेसुश्नरइंद्यापथभगा। नालिनघ्नन्नएीमें बित्नुवनभुजारीभटेवाओसडितो,असो ति विहारीप्रथभगागाभन भोहन महाशनशुंभेसी विनति डीन लवसंउट प्रत्लु भेटिय,तनी भदिर उशाप्रथभगानासंघसस मानंदृशुंभनयंछितमाश्यांरात्रिश्राशुध्यारीतेश्भो,जयार ब्लुड्य|| स्याप्रथभगापामढारसें प्रशसभे,भाषाढ़ेगायोगावटिशभीमा लुवांख्यिायित्तथयोसवायोगप्रथमगादालावनगरभेनेटिया, तीरथडे स्वाभीसाघुउहत निनरानकुंवादुशिश्नाभीप्रथभगाणा __॥ जयतृतीयप । ॥जान शालभंगलभिआन परमाशंघाटेगापरभपुनीते जनभलयो,पेजे प्रथभनिएंशाभाननापाटेि पडसअज्ञानडेनगी ज्योतिषशाअंतरयामी भेलज्यो,भातम भविशशामानवाशा तुर्तासुजसंगो,चंछित सघनाभोर होर शयेनहीं नेतुम रातापमानणाशासनाहिसनंतकुंलवलयतेंन्याशाभूर जिलावन्नएरोनहीं,संतनहूप्याशाजाननाचा परभातम प्रतिजिंजन सीनिनभूरतिन्ननोते पूनता निनरान,अनुलवरसभानोगमा नसउसगापा पति। Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrar
SR No.003689
Book TitleJain Kavyaprakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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