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________________ (३७८ ) हेजावेश दुनिगानिनेन्नन्याति ने आपपीछान्या, जेजजरीदुःजपा वेरे॥दुनिगाहंस सयांनेोऽसांर्धशु, अहेडूं चित्तनसावेशादुनिगादुप साधा ॥रागङनडी।डीस भारंग भत ब्लयरे, नर सूरज पंछी । सना डाभनी तनातार नहीं है, ये परजत दुःज हायरे ॥ नरवाशाङाभभ हाल लील जुरा है, सजजस्तुसेत छिनायरे ॥ नरणाशाजायज ताडेते इस बैठे, रावए। जैसे रायरेशनर ||और जनेऊ सूंटे स पेडें, गिएराती डौनगीनायरेशानरणानालूघरनीडे धर्मध्याशुरै, भा रगहीयो जतायरेशानरणाया छति॥ ॥जेज्वाला श्रीवीतराग,जीलुं भनेअंर्ध नगमेशा भेडा गंगान्नय गोहावरी न्नयोर्ध नाहे प्राए। लेतो भुने अर्ध नगमेरेश शेर्घ श्रीजासी रही डीहासी, डीर्घ, भंडे त्यागाजी लुंगाामहिषवधे डोर्घ भंगसिहालें, मेर्घ हुएो छाणाजीलुंगामंत्र लगी जेधे पशुने मा रे, वीधीयारे पागा जीन्नुंगाशालूमि तगोओोर्घ लारवीतारे, ओोर्घज नावे जाणाजीलुंगानरिहंत विएाने जबरने पूने, हृध्यभांजाएगी राणाजीलुंगाआवीरतांने वधन विराधि, ताडे लंपनी त्यागाजी लुंगाचीरनिएांहने पूतांचारे, शेडर जेसे झगाजीलुंगानालीने बिन हेवना होषी, वधन वहेवैराणाजीलुंगाहियवहेने जागभपा जें, भुक्तिनो चाहे भाग॥राजीलूंगा त Zetha श्र ॥ अथ लाती ॥ लातें पीठीने माता भुजई न्नेवे ॥ने देशी साथी रेसीएगोरनोस्वामी, साधाभांसायो॥अथ स्थीर निस्यार्थ हेवा, निन वरजेन्यो ।साणाशाडेवल डायना पानेयो, पीडछे डाथो॥जम रथवाने ने छोतो, ऋषलने रायो सागाशीघ्यरतन प्रभुशुं जेडांते, भलीने भायो॥नाली भरहेवानंहनें बंधी, नयङमसान्नयो॥सावा Jai Educationa International For Personal and Private Use Only ॥३॥ www.jainelibrary.org
SR No.003689
Book TitleJain Kavyaprakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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