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________________ ( ३२३) शुगनिधि गोडी हिलमां घरतां, सहल भनोरथ सीने हो ।गोडी. आप विजुघनो मोहन पलो, प्रह डीडीने प्रएामीनें हो। गोडीव ॥म ॥ ज्याला जटडे नेएल निन धरएगा। खरडेनासांस रेल घडी पलुडुं निरजुं, पैराभल चित्त यट ने एनानटडेट आशा यह धडोरडी प्रीत सभी है, वरत यढे नि सोनट आजटडेगा ॥शाडाहा अनुराग लगें भन्नु जेसें, न्यू निरभल पित्त पटडेरडे आनवस उद्देश्जजलयोरे पवित्र, प्रलुरस पीघो घटनटना साधा साय ॥ राग सोरणा जज हुमडीनी ज्ञान सरारी, न्ग्ग मांहे मंग टउड़ाया । लव श्ननेङगाम सजतनडे, वीत्तम दुसमें जायाशासा घोलार्धनान्नजना समस्ति हार जनि अतिनीङी, समताटार जि छाया॥क्षमा गाहितीपर थढ जैठे, तडिया सरसलगाया ॥ जज शाशुष्य लाव डीनी चन जारी, अंग सुघट सुधारया ॥ दृढ परिए महातोसा डीना, पापतोस डियान्यारा सजना आतपभुनिभहीशें अतिपीत्तभ, संयम पारजराज्या। धीरन विधतगाहे लेल्या, सत्य घ्या सन्युं लाया जजगामाश्री निलन्न डीयो हे न्नाजो, उगाचा ही जनाया। श्रीनिनत्नप्तिङी रोज्ड राजी, धर्म ध्यान जतलायाग्निनाम्। Quan ॥ राग गोडी ॥ जेरजेर नहिं जावे ग्जवसर, जेरजेरनहिंगाटेगान्यु लोत्सुंग्र सेलसार्ध, जन्मग्न्म सुजपावेशासणाशातन धनन्नेज नसजहीन्नूग, प्राएा पलङमें ब्लवेशासनाशातन छूटे घनडोनाम डो, अहिहुं दृपए। उहावेरे ॥ जना आन्नडे हिसमें साथ जसत है, तान्नू उनलावेरे ॥जगामाग्नानंघ्घन प्रभु यसत पंथमें, समर सुभर गुएा ગાથે અપાપા ॥ ज्यासनाघन पीयान्तहो जासूडी भेजन ज्यूं भास्यो । राण साधा Jai Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003689
Book TitleJain Kavyaprakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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