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________________ ( ३१५ ) रजो॥थें पीयान्लभत थासो, थानेश्वरन उई उन्नेालला लपीयाजरन हुई उरले गायेंगा भुनसरिजी नहीं सुंहरीरे॥तुभम तन्नजो छोडायें गाशानुंभे हमारा वासहारे ॥ छोतुंभे शिश्राभोडा येंगाशाश्जेसो अवसर दिए नहीं खावे ॥ज्युं उरो होडा होजायेंगाआ सायुं ध्यान हृध्यमां धारो । भोटा उरभने भोड गायें गानामायाल वनड्डा जेन नश है । शुभान उड़े उरन्लेड आयेंगाचा ॥ ॥ श्र राग धन्याश्री ॥ प्रलुल भोरी नेननमें जसरो॥ प्रलुलगाटेशा नालिराम भरेहेवीडी नंहना शुम्स ध्यानडी घरैया। मलुलनाशान पछरानाथै उन्नर गुएागावे ॥ भुजसें जोसे थाथैया थाथैयापलुल ॥शाभृहंगडी ढिभम् सुनी, ननरंगहित मध्यो। जेहेर जेहेरसेताज सैया ॥ पलुन्छ |आर्धतनी जरन सुनी, अमृत ननरलरी ॥ कुशण उल्याएर उरैया ॥ प्रलुकणाचा राग धन्याश्री पोताणो ॥ शांति निनेश्वर साहेजारे तीन लु वनडो महिमा छाने।शांतिगाने मांडणी ॥ धमाएगी यारे दुवारे अश्ब्लेडी उरते मनुहारे। शांति गाशा मोहनी भूरत सागे प्यारी॥जेहे र जेहेर में निरजुं निहाली शांतिनाशाअंति विनय उद्देसाईजमेरा लवलव पराशरएा भोग्ने ते शशांति नआति า राग जेहागाशीयन नित्य पाणो प्राणी॥शीयण घरभट्ठोभूणरेशाशीयणगावेशाशीयण सती सीताजे पाण्यं ॥ अग्निकुंडलयो पाणीरे ॥शीयणनाशाशीयण सती सुलहानें पाप्युपायासएसी में ल रसीखो पाएगीरे ॥शीयणनाशाशीयणशेठ सुध्र्शन पाण्युंग शूजीथ विमानरे॥शीयणना आहान शीयणसंनभवत पाप्युपाशिव सुजनावरा घनी राशीयणनान्याशीयणतन्यो संघपति रावएा, पोहोतो नरहनी हाएगी। गंग तुभशीयसभन्ने लवित्नावे, पावो शिवपुर ठाएगी॥शीयमनाचण Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrar org
SR No.003689
Book TitleJain Kavyaprakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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