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________________ ( 304 ) लु शन्नुस विनवे ॥ालसाल मेरो होले मुक्ति में वासाने सागाच्या मेरो मनु पारसनाथ आघारा मेरोणाने मांडणी॥आलपप रलव पंछित पूरे शिव पहजे हातार रे भमेगाावाभाळडो नंहन, नेो निरज्यो ते पाभ्या लव पाररे ॥ मेरोगाशात शामणहेच खाशा पूरी ॥ सेवड नी उरो साररेशा मेरोणागात पार्क साधा पराग पीलुनी डुमरी ॥थैतन डाधीरे मिट्टी। डेरा । हांरे चैतन‍ मापड गया मुंह जिजर गयाडेशासोऽहे घर मेरारेरातिनगापा डीपर पट तें लुषएा सोड़े।लींतर जहोत अंधेराराधितनगाशान्लू डा दुनीयामेन्यूहातन घन मेरारे ॥ तनगाआनेही जरन रसेला॥जेनगडी नहीं तेरारे ॥ तनगानानवस उहे छीन छीन मतजिसरो ॥ग्जपना उरलो सवेरारे॥ तननाय पीसुनी हुमरी ॥ हारे प्रलु लन से मेरा हीस राल ॥ मेराहीलना खांडणी । जाठ पोहोरडी चौसठ घडीयां ॥ हो घडीखां निनसाकरे हारे प्रलुनाशातन पुएय ज्छु धर्म डर से मोह माया त्याणीरे॥ हांरेणाशाष्जानंघ्घन उद्देसमन समन से । खाजर जोयेगाजालशाहांरे 11311 पीसुनी हुमरी ॥हारे तुंतोन र मेहेरही डरना ये ॥हांरेगाटेशा में हुजधम पापडी भूरताभेश होषनां घरनावे ॥ हांरेणाशाष्टलवंतर मेनें डीनी ॥ नवमे लव निलाचनावे ॥हांरेगाशा रूपचंद उहे नाथ निरंन्य ना आवागमन निवारनाचे ॥हांना त साधा साधा ॥ हेरली॥ से निनडे पाये सागरे, उहीजें तोड़े देतो ॥ खे निनदे पाये सागरेशटेशनो ठाम झिरे महभातो ॥मोहनाघरीजाशुंनगरे J Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary org
SR No.003689
Book TitleJain Kavyaprakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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