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________________ ( 3०१ ' पण सुन सर्धनेाभाहारान अंधे खावागमन निवाशाछजीनाआ 21 डोटीनी डुमरी ॥भेजना न्नेर लई, मोरी शेनजतीयांसीनो नयान्भेिजनाणारे आर्धनलव भित्र में तुमारो ॥ तिने संदेशोसीनोलया भेजनानाशानरड निगोहमे बहु दुःज पायो॥तेदुःजसो नन्नयान्नेिजनागाशाजजनोरे शरए। परएाथडी जायो॥लवनस पारडीवारशान्तेजनानाआ जेऊर ब्लेडी सेवड गुए| गावे ।। जावागम ननिवार भेजनागाना त * 2191 डोटीनी हुमरी ॥ ऋषल निन साहेजा, तोरा हरशनसें दुः जदूशाऋषलगाटेप्रातुम हरशनसें योशशी भिटत हे । मेरा पापथयां म्यूशऋषलणाशाभोर भुगट शिर छत्र जिरान्गातोरा भुजपर जर सतनूशाऋषलणाशा देश देश में पडछो तुमारो ॥ तोरीन्मत्रा भावेल रपूशाऋषलणारूपचंद उहे नाथ निरंजन । भेंतोश्यान रजडयो छुहुन्नूशाऋषलवाना ति 21. R ॥ञञोटीनी डुमरी ॥ नैना सण लघु, भेंतो निरख्या श्रीमा हिनिएांधानैनागाने मांडणी लवलव लटछतशरएगेहुंआयो जजतोराजोल भोरी सानपानैनागाशा जोरन्नतज्छु रह्योनहीं भे रोपायऊ गनरथ वा ॥ नैनागाशा रोम रोम खाए लयो मेरो ॥ज टउरमणयां लांन्गानैनाना॥ राम विष्णुध प्रभु खेहु भागत हे॥घ्या घरमडी भूस ॥ नैनाणाना त डोटीनी डुमरी ॥ कुमताएं दूर उरो, मोहे सुभता सीहावेरेशा शुभतानाटेआा चैतनता प्रगटे शुध्य मेरी ॥ तेथी उरभ जपावेरे ॥ कुमताई ॥शा दुगुरे दुहेव सुधरम हेजी ।। ताओओ जयन नलावेरे ॥ शुभतानाशा Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibra.org
SR No.003689
Book TitleJain Kavyaprakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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