SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 311
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (२८७ ) ॥ अथ श्री सिध्ययनुं स्तवन ॥ ॥शीजसासुल हे छेरे बहुल रही ढंगे। श्ने देशी ।। सिध्ययक्रने ललमेंरे ॥डे लवियएग लाव घरी ॥ भहभानने तळ भेरे॥डे दुभतादू जे जांएगी। पेहेले पहें राजेरे, डे अरिहंत श्वेततयुंग जीने. पहें छाने रे, डे सिध्य प्रगट लएंगा सिध्धनाशात्रीने पहें पीणारे, डे साधारन उहीनें थोथे पहें पाउडरे, डेनीणवरएासहीनें सिध्धनाशापांयमे पहें साधुरे, तपसंनम सूराशाभचरएो सोहेरे, डे दर्शन शुए। पूशा सिध्यनाआ दर्शन नाएा चारित्ररे, प्रेतपसंनभशुष्य वशे॥ालवि चित्त नाएशीरे, डेहृध्यमां ध्यान घरी ॥सिध्यणाना सिध्ययक्रने घ्यानेरे, डे संउट लय न जावे॥उहे गौतभवाएगीरे, डे अमृत पद पावे ॥ सिध्यनाचा ॥ अथ श्री पारसनायनिन स्तवन ॥ रघुपति रामहृध्यमां रेहेन्नेरे ॥ जे देशी ॥ भावोरे जावोपास भुन भणीयारे ॥हारे भाराभननाभनोरथणीग्नाआावोरेवाश्मां उएगी॥हांरे तारी भूरत भोहनगारीरे ॥सडी संघने लागे छे प्यारीशाहांरे नभने भोही रह्यां सुरनरनारी ॥ श्यावोरेनाशाहांरे जलजेली भूरत लु ताहारीरे ॥हारे ताहारा भुजडाडीपर नीं वारीरे ॥ हांरे नागनागीनीने डीघाडी ॥ खावोरेनाशाहांरे धन्य धन्य हेवाधिदेवारे ॥ हांरे सुरसोड रेछे सेवारे॥हांरे जमने नापोनी सिध्यपुर मेवात जावोरेगाआहांरेन मेशिवरभएगीना रसीयारे॥हारे न मोक्षपुरीमां वसीनाशाहांरेमा राहृघ्यम्भणभांवसीया॥राग्नावोरेगानाहारे ने डोईपासना गुरागा शेरे शाहांरे तेनां लवलवनां पातिङन्नशेरे शाहांरे तेना सभक्ति निर्मण थारी ॥ श्यावोरेणापहारे पलु भेवीशभा निनरायारे ॥ हांरे भातावामा हेवीना लयारे ॥ हांरे जमने दर्शन द्योनी घ्याणाग्यावोरेनाशाहांरे हुनोससी सती साधुं धुं पायरे ॥भारा बीरमांते हरजनमायदेशांरेनेम भाएिडविनय गुएाणाय वीरेाजाति॥ Ja Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003689
Book TitleJain Kavyaprakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy