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( २७८ )
॥ अथ नाहीश्वर लगवाननुं स्तवन ॥ पाउने साहीवर जावा, ऐसा ध्यान लगाया है। पानाटेड ।।ऊर बीपर उर अघिउ जिराने, आाशनगर लुभाया है ॥ पानाशागम नागमन निवारन साथी, शिवरभएगी डुं घ्याया हे।ट्टपाणाशाखापत रे जोरनडुं तारे, जेर्घ जिरह रजाया है। पाना आ प्रेम पहारथ छा पूरे, शांति दुशण गुएागाया है। पानाचा ॥
॥ अथश्रीनेभनाथनुं स्तवन ॥
हांरेडीने हेजा हुमेरा स्वामी, स्वाभील अंतरन्नमीरेशाडीनेगा टेझाश्या लवडी प्रीत प्राशी, नवभेगया शिवगामीरे॥ाडीनेगाशासे सावनी डुंन गसनभें, भण्याभुनेश्नंतरन्नभीरे ॥डीने गाशाखापर्य से गिरनारे पीपर, नारी तारी जेवण पाभीरे गाडीने ना आउछेनयु प्रलु नेभनगीनो, उहुंछुखान शिरनाभीरे ॥डीनेणाचा र्धति ॥
॥ अथ श्री महावीरनिन स्तवन ॥
राजसिहारीन्नींचारी, महावीर तोरी सभोसरएाडी जसिहारीने मांडणी ॥त्र एागढ पीपेर तेजत जिराने, जेठी छे परजावारी महावीरगावाएगी ब्रेनन सहुडीर्घ सांलणे, ताश्या छेनर नेनाशभ हाणाशाखानंदघन प्रलुग्नेगी पैरें जोसे, जावा तेगमन निवारी ॥3॥
॥सूरत मोहनणारी निनंदा तोरी भूरत भोहनगारी पाश्नेग्मांड - एगी।हरिशन तोरो भोडुं हरिशन हेवे, बीनडी में है जबिहारी ॥निनंध शाहरिहरप्त्रह्माभोरे घीसकी नग्मावत, सागत जे भोग्ने प्यारी॥नि नंघणाशा त्रिशला भाता भसारन गावे, पावत शिवहर गालानिनाआ गोडुणीने सर्व पासो हुरि बीध्यवरान हमने ॥ श्राणा ॥ होए। पुरे नंलण, नगमेलवनांथोडांभेश्नांएगी॥भाता पितानोडुं जनम हीनी हे, उरम ही खोरे हिरतारानगभेगाशान्लूहीरेडायाने
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