________________
( २५२ )
नवगुएाजकु जोसव्या ओवांछी परनी हाएारे, निन डब्नतियती आपटेंन जहुलोसने ॥१॥ परनारीशुं लोगरे, में घ्यायामल तंदुसमछ परे जहुने॥मुधा बिरंज्यो हेहरे, डाम हसाचसेंगते मतुन जाणस उहुंजेश्शामहा मंत्रनवाररे, तेभेनचिगएयामु छित मंत्राछि लएयाग्ने॥खागम अमृत पानरे, ते में नवीङयुगाप रतंत्रे सुकृत हुएयांग्ने॥पआप्रत्यक्ष परम निधानरे, न्ग सहुयेन्दुवे भूढमतिभेते तन्योग्ने॥मांस यसाहिविद्वाररे, रमएगी तासची ॥। हृदयांतरभांते लन्योग्ने॥पनानारी नयन विसोरे, हेजीतसभु जरंगाएं मनखेहशुंभे ॥ नागभन्सधि भोन्नररे, घोयुंनविजयुं उही प्रलु ते डारए। डिशुजें ॥१॥ प नहीं भुन रागरे, गुएा पातेह वोडो उसाते हवी नहीं मिलता नहीं पए। स्वाभीरे, महारेतेहवी तो पड़ा भुन सड़तें सही मे ॥१॥ नायुगसें पए। स्वामीरे, दुरमति नवि गले॥वर्धणयुं तृष्णा नवीगर्धोपीद्यम जौषध अन्रे, धर्म तएगी नहीं। मोह विरंजन भुन थर्ध मे। १ जानहीं जातम नहीं पुएय रे, पापने लयनहीं|नेहवं नास्ति। मन थुएयुंखे ॥ परगट डेवलसूर रे, नगमांहीपतो॥धिग मुन निन भत नवगुए से || पामें नवी डी पुएयरे, पात्रन पोषीजी ॥दुविध धरम पए। परि हरखोग्ने सही मानव लव स्वाभिरे, सघतो भूरारान विसाप सभी उखोजे ॥चिंताम शिसुर धेनुरे, सुरतरे भूरनें। अछतापए में ग्नलिसज्याने प्रत्यक्ष इस निजधर्मरे, तेमें नवी उश्यां॥ग्निभृत तक शडलज्याने व्य यिति सुरनीसीसारे, डीलन शेगनी नहीं।घन चिंता नहीं निधननी जोध्यायी में प्रलु नित्यरे, चिंति पापीयें ॥नारी जारी नरम्नीओ श्शान रह्यो साधुखाधाररे, मनमां माहरे ॥ पर पीपगार न में उखो जेन उश्योतीर्थ गप्याररे, नरलव में सही।हारयो शेडट लव इन यो रे ॥श्शागुर वधन वैराग्यरे, नाच्यो भुन वसी ॥डीपशम दु नवयनथीजे ॥ निभ अध्यातम सेसरे, नाव्यो लवन्सें ॥ङहो डेभउ
Jan Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary org