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सनी, पंथमनाए। प्राश हो ॥सुंगावैशाजशुहि खाहम हिनें, पोहताशि वपुरवास हो । सुंगाचगाणासुंगासाज पंथाश पूरवत, न्निवर जी त्तमश्याय होगा सुंगा प्रेमें पद्मविन्य आहे, खुशियेश्रीन्निराय हो
॥ जय श्री सुमतिग्निस्तवन । ।। साला रंगावी चरना भोसीयांताने देशी सेवो सुभति दिनेसर साहिजो, मल्लू अलिनंहनथी जेहरेशान चसाज मेडिसागर तथौ, नंतर गुएागए। भगिने हरे शासेगाशाधिव्या श्रावए। शुहि जीन्ग्ने हिनें, सूचित यौह सुपनेने हरे ।। वैशाजशुहिखाह भेन्ग्नभीया,त्रएरा ज्ञान सहित वर हेहुरे । सेनाशाजीथी आायात्रएाशें धनुषनी, सोवन वन अति अवातरे शाशुहि वैशाज नवभीयें व्रत सीये, हेर्छ हान संवत्सरी ज्यानरे॥ासेनाश चैतशुद्दि जगीनारशा हिने सह्या मलुल पंथभनाएारे॥ पैतर शुद्धि नवमीयें शिववस्या, पूर्वसा जयासीशग्नायुनए रे । सेनानामेतो न्निवर नगपुरे मीठडी, माहाराजा भयो श्वाधार रेशा लवलव प्रलु सरए राजन्ने, उहे पद्म विब्ग्य घरी प्यार रे ॥ सेनापतिला
॥ अथ श्रीपद्मप्रलग्नि स्तवना
साहेलडीयां ॥ देशी ।। पद्ममल छठ्ठानभो साहेलडीयां, सु भति पद्मवियें नेहगुएा वेसडीयांग नेतुं सहस मेडिग्जथरनोसागाअंतरन्नएगो नेहाशुनाशायवीजा महावहिछः हिनसाना जन्मते अर्निङ मासागुणावही जारश हीन नशियें॥सागारस्तवए छेन्नसागुनाशा धनुषजरिशें हेहडी । सानाति भास उस्याए । गुणावहितेरसव्रतसाहस्यां ॥ साना पैत्री पूनिभ नाएाशुनाआत्रीश साज पूरव तां ॥ सानामायु गुएामणिजाएगा शुनाभागशिर बहिन जीयार ॥ सागापाम्यापह निखाए । ॥ गुणानाने साहिज सुरतर
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