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( १९८)
॥ अथश्रीलुरंग निस्तवन ॥
।। महा विदेह क्षेत्र सोहाभएं । जे देशी । लुग्भ हेव लायें लन्ने, राय महाजल नंघासासरे ॥ महिमा कुजे हसलो, उभल संछन सुजा सासरे गलुगापवित्र चिन्य विन्या पुरी, उरे बिहार बीच्छाहालासरे पूर्व श्रघे पुज्जरें, गंध सेनानी नाहासासरे ॥ लुगाशाागस सिज वोडाश्मो, नावेन्ले दुर्नन हाथ लाल रेशा भए। मिलवं दुरंत रे, चित्त विरे तुम साथ सासरे गलुगाआ डिसी ईसारत डीनियें, तुझें न्नयोछोन्गला बालास रेशसाहिजलए जन्नएाने, साहुमुं उरे प्रस्तावासासरे शालुवा नाजिन्भतमांजामी नहीं, मेसन मनमांडोय ॥ सासरे ॥उरेला पूर एलोजएणे, साहभुं मंतुंनन्नेया सासरे लुगापासंगी भोटातणी मुंग्र ग्रहेची अनासासरे ॥वायनस उहे बीनती, लम्ति वशें भुज्ञभा नसासरे शालुगा छति॥
॥ अथ श्विर ग्निस्तवन ॥
॥ सिडे शैसे किसके पूत । जे देशी ॥ नृप गन्सेन नशोहाभात् नंदन ईश्वर शुएाग्भवघता स्वामी सेविये ।। पुष्करवर पूर्वारध उध्छ,विन्ग्य सुसीमा नयरीजच्छणास्वाणाशशि संछ्न मैलुङरेरेविहार, रागी लावतीनो लरतार ॥ स्वाणाने पाने मनुनो हीहार, धन्य धन्यतेन रनी अवतार शास्वागांशाधन्य तेनन न्नि नभिनें पाय, धन्यतेभन नेप्रलुगुएा घ्यायास्वाणाघन्य ने लहामेलु शुए। गाय, धन्य ते वेसान जवहनथाय॥ स्वागाआजए। मिसवे पीकुंडा न्नेर, भिलवे विरहुतगो लय सो शास्वानानंतरंग मिसवेल पीघ्छाहिं, शोड विरह निभ दूर पांध स्वाणानातुं भातातुंजांघव भुळ, तुही पिता तुळशुं भुल्स्वाना श्रीनय विन्ग्य विजुधनो शिष्य, पाय नश उहे पूरो नगीशास्वाणापा ति श्री छेम्वर निन्नस्तवनं
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