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( १४२ )
।। ढाल भील ॥ ॥ भोतीडानी देशी ॥ निश्यय उहे हुए। शुई हुए। पैसा, जेसे जापहीं जापश्नडेसा मोहना रंगीला हमारा, सोहना सुज संगी॥लस प्राशें नण सविलासें, नवनिधि अष्टमाहा सिद्धि पायें ||भोगाशार्म विलापशस्तिश्यं लेडे, ते स्वलाच शक्ति नवि तोडे। लांगो लग्भ भरम सविन्नएयो पूर्ण ज्ञान निन्प पिछाएयो । मोनाशाडरता हुई हाथी परें ब्लू, साजी निगुएामांहेससूत्रे ॥ताते क्रियादुःज बेहे, साजी लवतरे उंदीच्छे हे।भोगाआज्ञानीने उरएगी सविधाडी, हुई रह्यो नरम उरभ स्थिति पाडी भाषा भए। हेजेने लभतो, ते हेजे होग्ने निनगुए। रमतो॥भोगाचाला वग्भशुद्धने पुणस डेरा, तेतो नएया सजहीं अनेरा॥भोक्षरूप जमेंनिष्णुए। वरिया, ते जर्थे दरशे हुए। डिरिखा। भोगापाहवेव्यवहार हे सुगो प्यारा, श्ने मीठा तुभजोस दुधारा ।लए तांने जए उस्तांलासो,चपन वीर्य पुरीश्माप विभासो ॥ योगासने अलिभान रहित तेसा जी, शक्ति क्रियामांते छेजाजी ॥ क्रिया ने शुललेगें भांडे, जेहाहिङ दूष एसविछांडे भोगागालूजन लांगे लोग्न हीडे, विएा जांडे तुषव्रीहीन नीशामांन्या विएानेम पात्रनश्नार्छु, क्रिया विएा तेमसाधन पाछु भो नामोक्षरूप आतम निश्धारी, नविथाडा निएगवर गएणधारी॥क्रिया ज्ञानने जनुक्रमें सेवे, सुन्ग्स रंगते हुने प्रलु हेवे ॥ भोगाला ऐति ॥ ढाल पोथी ।
॥ जेडसे लार घणो छेरानगा सेहेशी ॥
।। निश्यय उहे विए। लाव प्रभाएगे, डिरिया सम नखावे॥जाच्यो लावतो क्रियाथाडी, प्रायां नभएान लावे ॥ भानो जोस हमारोरा, तागोता कानडीनें ॥शाश्रभए। दुर्ध गएाघर प्रवन्या, भसेते. लाव प्रभा एलिंग प्रयोग्न न्नभन रंग्न, पीत्तराध्ययनें बजाए ॥भागाशानि नपरिएलाभग्नाव प्रभाएयो, वसी मोघनिर्युक्ते ॥ जातमसामायिङ लगवर्धभां, लांज्युं तेन्दुनोन्नुगतेंगा भागा आनय व्यवहार उहे सविभु
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