SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 157
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (933) एी मुज्न पछठ्ठी समस्या पूरती रे, पंच सजीशंखनुपाधिगाआरा घावेधी सातभीरे, साहभी विष जीता शापरी जाव्यो निन्ग्घरेरे, सा थें जहु परिवारायिणानामन्नपाते सांलखी रे, परहल डेरीवाता। जंघें कुहाडो सेर्घ पुरीरे, भयएगां हुई विख्यातायिनापायिंपारान्य सेर्घजी रे, लोगवी अमित लोग धर्मग्माराधी भवतस्योने, पोहोतो नवभे । सुरोगामिनासार्धति॥ ॥ ढास थोथी ॥ ॥ अंततभाडु परिहरोपने देशी ॥ ॥ खेभ महिमा सिद्ध्यक्रनो, सुणि खाराधे सुविवे आभोरे सा साशश्री सिद्धयक जाराधियें ॥ श्ने जांएगी ॥ जडहल उभसनी था पना, भध्ये श्जरिहंत जीहाशाभोगायिहुं हिशें सिद्धाहिङ श्रेणी, यत्र हिशें तुं गुएाधार ॥भोनाशाश्रीणा जे पडिङ भएगा तंत्रनी, पून हेव वंदना त्रिाला भोगानवभे हिन सविशेषथी, पंचामृत डीजें पंजाब ॥भोगा आश्रीगालूमिशयन ज्ञह्मविध धारणा, शेंधी राजोत्रएान्नेगाभोव शुरे वैय्यावस्य डीलयें, घरी सद्दहणालोग भोगान्नाश्रीगागुरैप डिसाली पारीयें, साभीवछत पए। होय ॥ भोगावी भएां पए। नवन वां, इस धान्य श्ययाहिङ ढोय ॥ भोगापश्री गार्धह लव सवि सुजसं पहा, परलवें सवि सुजथाय ॥भोणा पंडित शांति विन्य तणो, उन्हें मानविग्य डीवाय ॥भोगाशाश्रीणाति॥ ॥ जय रोहिएगीतपनुं स्तवन ॥ ॥ हांरे भारे वासुपूज्यनी नंदन, भधवा नाभन्ने ॥ राणी नेहुनीड भला, पंडुन सोयणी रेसो ॥ हांरे भारे झाड पुत्रने, डीपर पुत्रीनेऽन्ने भात पिताने बाहाली, नामें रोहिणी रेलो ॥ शाहारे भारे हेजी यौवन, वयं निन्पुत्री लूपन्ने। स्वयंवर मंडप भांडि, नृपतेडावियारेलो॥हांरे भारे अंगवंगने, भश्घर डेरारायन्नायितुरंगी शेन्नथी पंपायें, जावि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003689
Book TitleJain Kavyaprakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy