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एन्जिजमें सुखीयें, तव देव छहें सुहावने नेिङना१नाहेवतासुरउवि सायुं जोसे, निहन्नशी तिहांसावशे॥निवाश्नेनारलाहिड जपच्छरनी येषी, वंही नभी शुए| गावशे॥निनाभेनाशा अंतरन्नन मी दूरें वियारो, भुन शित्तलीनुं ज्ञानशुंगानिनाने नाहृघ्यथडीन्नेदूरें लग्नो, तो मैतुजमें भानगानाने ना१शा सुससाहिज्नवन्नि पर हीघो, जमशुं अंतर जेवडो पनि नानावीतराग ने नाम घरावो सहुने सरिजा तेवडो ॥ निगाभेाज्ञाननन्नरथी वात विद्यारो, रागदृशा जमरेजडी ॥निगाजेङनासेव राणें साहेज रीने, घनघन त्रिशला भावडी ॥निगाउना१नातुन विएा सुरपति सघषातूसे, प एनमें नाभए। दूमा निनामे उनाश्रीशुलवीर हन्नूरे रहेतां, जी त्सव रंग चधामणां निनानेना१५॥ ॥र्धति ॥शा
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॥ अथ सीमंघरन्नि स्तवन ॥
॥ सुएगो हाल, सीमंधर परमातम पासें भन्ने । भुनविनतडी, प्रेम घरीने जेएगी परें तुमें संलसावन्ने॥जे जांएगी। नेत्रएयलुव ननी नायम् छे, नस योशड़ घर पाया छे, नाए। रिसएान्हनें जाय छगासुयोगशाळेनी डयन चरणी प्रायाछे, न्स पोरी संछन पायाछे, पुंडरीणिणि नगरीनो राया छगासुगोगाशाजार पर्षघभांहि जिरानेछे नस योत्रीश अतिशय छाने छे, शुए पांत्रीशचाएीयें गाने छे सुशो आलविन्ग्नने ते पडिजोहे छे, तुमग्नधिः शीतस गुएा शोहे छे, रूपहे जी लविन्ग्न मोड़े छोसुगोनानानुम सेवाङखा रसीनोछु, पएल रतमां दूरें वसीनो छु, माहामोहराय डर ईसीजी छु।सुशोनापाप एएसाहिज वित्तमां घरीयो छे, तुम जाएगा जङ्ग उर ग्रहीयोछे, पा अंधेर भुन्थीडीयोछणा सुगोगासान्नि जीत्तम पुंड हवे पूरो, उहेप द्मविन्ग्य थाडीं शूरो, तो वाघे भुन्न भन अतिनूशे ॥ सुगाजा छति॥शा
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