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॥ अथ जयंती श्राविकानी गईली बाणुंमी॥
॥ फतमलनी देशी ॥ ॥ चित्तहर ॥ चोवीशमा जिनराय, नयरी कोसं बी समोसस्या ॥ चि०॥मनमोहन मुनिराज, चन्द हजारें परवस्या ॥१॥ चि॥ सुरनर परषदा बार, रतन गढें आवी ठस्या ॥ चि॥ बेठा सिंहासन ना थ, चामर उत्र अलंकस्या ॥२॥ चि०॥ वंदे उदा नय नूप, रूप चार दर्शन दिये ॥ चि॥ सम किती व्रतधर लोक, कोक कमलपरें विकसियें ॥३॥ चि०॥ रंजा अप्सरा ताम, गहूली करीने वधावती ॥ चि॥ रूपें जयंती समान, नामें जयंती माहासती॥४॥ चि०॥ विर अदर दोय मंत्र, जपती नित्य जपमा लिका ॥ चि॥ नक्ति सोवन रसी देह, जेह हजूरी श्राविका ॥५॥ चि॥ नष्टाद नोजाइ साथ, नाथ आगल ऊनी रही ॥ चि॥ प्रश्न पूजे कर जोडी, प्रजुजी उत्तर देता सही ॥६॥ चि॥ जागता उंघ ता कोण, उद्यमी बालसु कोण जला ॥ चि॥ धर्मी अधर्मी लोक, शतक बारमे नगवर वरा ॥ ७ ॥ चि०॥ सुणि हर खित कहे देव, महेर नजर महोटा तणी ॥ चि० ॥ थर हुँ जगविख्यात, जो प्रनु पोता
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