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________________ (५ए) लगनवा॥चंगालागी लगनवा जोडीन बूटे, जबलग घट में प्राण रेमोरी॥चं॥१॥ दान शियल तपजावनाना बो, जैनधर्म प्रतिपालरे॥मोगाचंगाशा हाथ जोम कर अरजकरत है,वंदत शेठ खुशाल रे॥मोरीचं॥३॥इति पद बारमुं ॥ मारो मुजरो मानीने लीजें, हो गोमीराय अरज सुणीजे ॥ मुजरो मानीने लीजें ॥ टेक ॥ मुज सेवक पर किरपा करीने, दिल नरी द रिसण दीजे ॥ हो गोमी० ॥१॥ तुं अविनाशीअंतर वसीयो, तुम दीलमां परतीजें ॥ हो गोमी० ॥ २॥ गुणनिधि गोडी दिलमां धरतां, सकल मनोरथ सी के ॥ हो ॥ ३ ॥ रूपविबुधनो मोहन पत्नणे, प्रह उठीने प्रणमीजें ॥ हो गोमी० ॥४॥ इति ॥ ___ पद तेरमुं ॥ राग पंजाबी ॥ पास प्रनु जिन रा या, दील लाया मेरा सां॥पास ॥ ए आंकणी ॥ तन मन मेरे सबही उसस्यां, जीया मेरा आनंद पाया ॥ ॐ दील ॥१॥ अखियां मेरी प्रजुजीकू नि रखे, ताता थे तान बजाया ॥ दील ॥२॥ कर जोमी प्रनुजीकू वंदना करकें,न्यायसागर गुन गाया ॥ दील ॥३॥ इति ॥ पद चौदमुं ॥ राग खमायच॥ करुंसलाम आज, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003687
Book TitleStavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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