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________________ (५) .... ४३ ECE क्रमांक. पृष्टांक. जज तेरे चरण कमलसें लगी महाराज मेरी श्रा०४१ पए अंगके कमाये धनकी आशा कैसी करनी. ४१ ७ लग रही तुम दर्शनकी मुऊ मन श्राश रे. ४२ ७१ जिनदास जूगे रे जूगे. ...... .... ४५ २ समर जीया श्री नवकार. ३ अंतर मेल मिट्यो नही मनको. .... ४३ ४ न हरियालो हुंगर प्यारोण .... ज्य मेरो मन लागी रह्यो. .... ७६ राजुल पोकारे नेम पिया ऐसी क्या करी. ४५ ७ प्रजुजीको दरिसन पायो री आज में. .... ४५ ७ क्या जरोंसा तनका अवधू क्या. .... ४५ जए दरवाजा नोटा रे निकल्या सारा जग० ४६ ए कौन किसीको मित्त जगत्में कौन .... ४६ ए१ श्री जिन पास दयालसें लगा मेरा नेहरा. ४७ एए बाजत रंग बधाइ नगरमें बा० .... ४७ ए३ मा रे में तो प्रजुजीसें प्रीत करी. .... ४७ ए४ जलांजी मेरो नेम चल्यो गिरनार. .... ४ ए५ श्रीपास प्रनु साहेब मेरे .... ए६ हो राज जीजु थारे छारें .... ४ए ए आदीसर जिनराज, ..... ४ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only ..www.jainelibrary.org
SR No.003687
Book TitleStavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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