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________________ ( ६६ ) ॥ दोहा ॥ नमया लक्षण दक्षिणा, जाणे नेद अनंत ॥ चिंते मुऊचतुराइयें करूं सहेजो कंत ॥ १ ॥ कहे नमया निज नाहने, जे ए गावे गीत ॥ विष दीठे कहो तो कहुँ, रूप रंग गति रीत ॥ २ ॥ कंत कहे कामिनी कहो, कां करो बो जोर ॥ चतुराई जे अंगमें, ते दाखो एकवार ॥३॥ बोली नमयासुंदरी, रे पीयु गाय क एह ॥ श्यामरंग शोना सुनग, कुब्जरूप बे देह ॥४॥ स्थूल हस्त मुद्दे मशक, रक्त नेत्र ससनेह ॥ त रुण वर्ष द्वात्रिंशनो, चिन्ह सयल बे एह ॥५॥ वचन सुणी वनिता तणां ताम महेश्वरदत्त ॥ चित्त थकी चिंते इस्युं, थइ तरुणीथी विरत ॥ ६ ॥ " ॥ ढाल बावीशमी ॥ चंदन राखो बोजी राज, मीठडा मेवा बो ॥ ए देशी ॥ वाणी सुणी नमया तणीरे, शोचे महेश्वर दत्त ॥ सहितो ए गायकथकी, कांइ नारी बे संसत्त ॥१॥ माहरी मानिनी हो राज, सही तो धूतारी बे ॥ चंदन शी बोले बे राज पण विष तोलें बे, एहनी कहाणी बे राज, ते हवे जाणी बे नहिं तो केम जाणे त्रिया रे, रुप ॥ ए श्रांकणी ॥ रंगनी रीत ॥ ल Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003683
Book TitleNarmada Sundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages198
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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