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________________ ( ११० ) मीठी मीठी वातो मांडी, शाद थकी अनिमानी राज ॥ हुं० ॥ ए ॥ खामी किए नयरें वसो बो, शी खबरो तुम केरी रे ॥ दीसो बो दृढधर्मी सारा, कीर्ति तुम जिनेरी राज ॥ हुं० ॥ १० ॥ मुद्री के एह घडी बे, कुंदन पण बे सारो रे ॥ मया न थी कारीगरमांदे, धन्य एहनो घडनारो राज ॥ ॥ हुं० ॥ ११ ॥ सोवनकार इंदाना मूरख, एहवी न घडे कोई रे ॥ काढी थालो मुऊने जोवा, तत कृण देश जोई राज ॥ हुँ० ॥ १२ ॥ जो कारीगर एहवो होये, तो एहवी घडावुं रे ॥ चोयफेर मूडिने चूनी, जेल उले जडावुं राज | हुं० ॥ १३ ॥ नमया तातें तें गणिकाने, दीधी मुडिका काढीरे ॥ दण एक तो रसनायें वखाणी, चांगलीए करी गाढी राज ॥०॥१४॥ दासीने गणिकायें तेडी, ए मुद्री तुं लेजे रे ॥ जाजे सीधी एहने मेरे, तेह नारीने देजे राज ॥ हुं० ॥ १५ ॥ कहेजे सार्थप तुकने तेडे, श्रा मेली सहिनाणी रे ॥ भूलवणीमां नांखी तेहने, आपण जे ईहां सपराणी राज | हुं० ॥ १६ ॥ दासी पहोती मेरा सांमी, कर, ग्रही मूडी राखी रे ॥ ए Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003683
Book TitleNarmada Sundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages198
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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