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________________ (१०५) नमयातात जे कहेशे॥ ढाल कही चोत्रीशमी रूडी, मोहन हेजें लहेशे॥॥ १७ ॥ ॥दोहा॥ जांखे नमयानो पिता, चेटी निसुण विचार ॥ कहो उकुराणीने लियो, जोश्यें तो दीनार ॥ १॥तु मथी बीजी वारता, श्रमथी तो नवि थाय ॥ एम कहेजे मीठी गिरा, तेह कहेतां शुं जाय ॥५॥ राजा पण कोपे नहीं, कागलियाना कान ॥ ते मारे कहेजे घj, चेटी तुं कडं मान ॥३॥ चेटी श्रावी दोडती, निज उकुराणी पास ॥ ए सारथपति स्वा मिनी, दीसे वे कोई दास ॥४॥ मिलवाने वांजे नहिं, तुऊ सरीखु जे पात्र ॥ ए श्रण बोलाव्यो न खो, घर जेहवी नहिं यात्र ॥ ५॥ एणे तो एह, कडं, लागे ते त्यो दिनार ॥ पण परदारा प्रीतडी, करतां केम व्यवहार ॥६॥ ॥ ढाल पांत्रीशमी॥ चुनी चुनी कलीयों में सेज बीगंज, फुलारी गज राह ॥ माहरा मारुडा, पाणीमारो ठमको वाजे ॥ ए देशी ॥ जाउँ रे चेटी तेडी श्रावो, जेम सारथवा ह॥ मारा पंथीडा जोगीडा कांय न श्रावो, श्रावो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003683
Book TitleNarmada Sundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages198
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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