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________________ ( १०३ ) ॥ ढाल चोत्री शमी ॥ बेडो नांजी ॥ एदेशी ॥ नमया तात ते दासी वयर्णे, घणुं घणुं ए खेदोणो, परदारानी संगति निसुणी, हियडे यति शरमाणो ॥१॥ लगी रहेने हांरे कहेनी बे तुं दासी, ऋ० ॥ हांरे शी मांडी कू डनी फांसी ॥ ० ॥ हांरे तुं दिसती नयी विश्वासी ० ॥ श्रांकण ॥ अरे दूती किहां तुं हुंती, यइ धूती जे श्रावी ॥ जारे अबूती देश जूती, चढशे मूति साची ॥ ० ॥ २ ॥ में व्यवहारी किम परनारी, सेवुं जोय विचारी ॥ खारी विषयी विषय कटारी, मतवारी धूतारी ॥ ० ॥ ३ ॥ में संतोषी बुं निज दारा, केम सेतुं परदारा || जोगवतां निर्धारा सारा, एहनां फल बे खारां ॥ ० ॥ ४ ॥ पररामाना जे हने जामा, जन्म्या तेह निकामा ॥ मुख सामा जोई नवि पाम्या, धन्य जे एम तजे वामा ॥ ० ॥ ५ ॥ में श्रावक श्रागम जावक, नावक मिथ्या श्रराति ॥ परदारा पावकमां पगलां, देतां केम वढे बाती ॥ ० ॥ ६ ॥ दानवराय टंका वंका, शूर पण धरता शंका | दाशरथी यें देई मंका, लंका कीधी पंका ॥ ॥ ७ ॥ पदमोत्तर जस अविचल उत्तर, सायर उत्तर For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Educationa International
SR No.003683
Book TitleNarmada Sundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages198
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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