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________________ (200) यंवर भूषण जोजनां, आपें दाखी प्रीति रे || गो० ॥ जांखे नहिं कम मुखें, उपावण प्रतीति रे ॥ गो० ॥ ॥ १८ ॥ नाम पूबाव्युं अन्यदा, बलसारें करी शान रे ॥ गो० ॥ लुयें सा कहे माहरूं, मलयसुंदरी अजि धान रे ॥ गो० ॥ १८ ॥ व्यवहारी इंम चिंतत्रे, मम कहे ए स्व चरित्र रे || गो० ॥ पण नामें करी जाणीजं, कुल एहनुं सुपवित्र रे ॥ गो० ॥ २० ॥ चाल्यो तिहां थी वाणीयो, करतो पंथें मुकाम रे ॥ गो० ॥ उदधि तिलकपुर पर्णे, पोहोतो कुशलें ताम रे ॥ गो० ॥ २२ ॥ पुत्र सहित बानी गृहें, राखी महिला तेम रे ॥ गो० ॥ दासी एक विना कहे, जाणी न पमे जेम रे ॥ गो० ॥ ॥ २२ ॥ एक समय मलया प्रत्यें, नितुर म पजणं त रे ॥ गो० ॥ नाथ पणे मुजनें हवे, च्यादर तुं गुण वंत रे ॥ गो० ॥ २३ ॥ मुज संपदनी सामिनी, तां न कर विचार रे ॥ गो० ॥ सपरिवार हुं ताहरो, रहेशुं यथाकार रे ॥ गो० ॥ २४ ॥ पुत्र नहिं को मा हरे, ते वामें तुज पुत्र रे ॥ गो० ॥ थाशे जय जय मालिका, वधशे श्म घरसूत्र रे ॥ गो० ॥ २५ ॥ व चन सुणी कामांधनां, बोली मलया मुद्धरे ॥ गो० ॥ कुलवंतानें नवि घटे, करवुं लोक विरुद्ध रे || गो० ॥ था Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003682
Book TitleMahabal Malayasundarino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages324
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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