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पंडित श्रीकांतिविजयजी विरचित
शील सत्त्व माहात्म्यमय
श्री महाबल मलया सुंदरीनो रास.
यथामति शुद्ध करीने
सम्यक् दृष्टि जनाने वांचवाने अर्थ
श्रावक भोमसी माणकें
श्री मोहमयी पत्तन मध्ये
शान्ति सुधाकर प्रेसमा छपादी
प्रसिद्ध कर्यो छे.
( आवृति वीजी )
संवत् १९६३ महानुद१ सन्ने १९०७
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