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( १९५) ॥७॥१०॥ उलले हुंकलती नाहरकोमि हे, हे लुकमि यां वांकमियां दमव मियां दीये हे || अ० ॥ चुंपती खेले गेलें जरखां जोमि हे, हे जथमता चलचलतामृ तलपा लीये हे ॥ ॥ अ०॥ फितकें फेंकारी म ख फामी हे, हे ससला ते सलसलता तरु मूलें लुके हे ॥ १०॥ महके सुरदा मशक बिलाम हे, हे विजू ता अति खीजू मदमाता फुके हे॥॥०॥ खमके खोनालो खांतें नील हे, हे रुके बल नवि चूके मांकम वानरा हे॥ अ०॥पंथें विषधरनी अमखील हे, हे फुकी परजाले जालां कींगरां दे ॥ १० ॥ १०॥ मके चमरी वांसांजाल हे, हे वेमुने वली सावज फू रोषमा हे ॥०॥ खमके जमके विहगामाल हे, हे खच्चरिया बल जरिया दोमे सूसमां हे ॥११॥ अ०॥ अरमे उछालाारण उंट हे, हे दाढाला सुंढालाशर नघणा उमेहे॥१०॥रमवमे रोहि बोहिम बूट हे, हे गोकरुणा कंदलिया मिलि बेसे खूमे हे ॥ १२ ॥ ॥ अ० ॥ घुरले घूघमा मामी घोर हे, हे जमदमतांह महमतां जूत घणां नमे हे ।। अ०॥ चरमा चोरा करता जोर हे, हे धामाने लेई आवे थामा मागमें हे ।। १३॥ ||अ०॥ एहवा जीषण वनमांमुऊ हे, हे निर्दय नृप
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