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________________ ( ए) राणीने धाय ॥ श्म कुमरी मन चिंतवी, लटपट मांमयो उपाय ॥२॥ तव कुमरी सनम् । णीने जीडी रे बाथ ॥ अंगोयंग मलीन रे, चरणे नमे सदु साथ ॥ ागत स्वागत राणीनी, कुमरीयें कीधी रे जोर ॥ राणीनुं मन रीजवे, वसंतसिरी ति पगार ॥३॥ चवदनं। दो बेनी रे, वात एका था न ॥ जाणे स्वर्गयी ऊतरी, रंजा नरवशी मान ॥ रूप अनूपम बेहुनां, ९ करूं केतां वखाण ॥ जाणे कंद 4 वाडीयें, प्रगटी पुण्य प्रमाण ॥३॥ एहवी ए राज कुमारी रे, प्यारी दो गुणवंत ॥ सरखा सरखी रे जोडी, मलि करी वातडी संत ॥ वसंतसिरी गुन सुं दरी, कहे पटराणीने आज ॥ नलें रे पधास्यां राणी जी, कोडी सुधास्यां रे काज ॥५॥ तुम आवे अममं दिर, पावन दुवो जी चंग ॥ अम सरि जे काम दु वे, ते कहोजी सुरंग ॥ तव राणी कहे कुमरीने, वे एक तुमगुंजी काम ॥ बहिन करीने थापवा, यावी बुं गुणधाम ॥ ६ ॥ एम कहीने रे आपे रे, नवलखो नवसरो दार ॥ वली बीजां बहु मूलां, नूषण आपे श्रीकार ॥ तव कुमरीये जाण्यु जे, राणीयें मांमयो जी पास ॥ जो नवि राखं तो बागल, होवे महो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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