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(६१)
॥ न० ॥ १५॥ कुशीलियो सघले नमाय, चोविश दमकें दंमाय रे ॥ न ॥ कुशीलनां कर्म अघोर, न वो नवें फिरे थई चोर रे ॥न ॥ १६॥ मंत्र यंत्र में विद्या जेह, कुशीलने न फले तेह रे ॥ न० ॥ सिम साधक नाम धरावे, कुशीलने जस कदि नावे रे ॥ न ॥ १७ ॥ माहादेव जे देव कहाय, सरगथी मरि नरगुं जाय रे ॥ न ॥ अहिव्यायें इं जे लुब्धो, तो सहसनगो नाम दीधो रे॥ न० ॥१७॥ कुल वालु साधु कहातो, गुरु शेहित किम जातो रे॥ न ॥ ते गयो गणिका संगें, बही नरकें कुशीलने ढं गें रे॥ न ॥ १ ॥ वर्ष सहस ते चारित्र पाली, कुं मरीके तप परजाली रे ॥ न० ॥ ते मरीने एकण रा तें, जइ बेठो नारकी पांत २॥ न० ॥ २०॥ कुशाल नी करणी खोटी, करतो फरे नानी महोटी रे ॥न ॥ कुशीलनुं तप जप फोक, वध बंधन लहे फल रोक रे ॥ न० ॥१॥ स्वदारा दिल नवि आवे, कुशीलियो उखर खावे रे ॥ न० ॥ए तो जेहने जे पडी हेवा,तेह नीजाए टेव मरेवा रे॥न॥२॥ ते माटे तुमें मही नाथ, बंको परस्त्रीनो साथ रे ॥ न ॥ कुशीलनुं नाम धराशो, लोकोमें हांसुं कराशो रे॥ न०॥ १३ ॥ दिल
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