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________________ (५७) तेहवो स्त्रीनो राग ॥ हे रा॥ २२ ॥ धि० ॥ स्वारथ पहोंचे जिहां लगें, तिहां लगें करे रंग रेल ॥ हे रा० ॥ ती तन धन हरि लिये,रूठी विषनी वेल ॥ हे रा ॥ २३॥ धि० ॥ सुरीकंतायें कंतने, हणियो देई फेर ॥ हे रा ॥ नारी उष्ट होवे सदा, न जुवे करतां केर ॥ हे रा॥ २४ ॥ धि० ॥ ब्रह्मदत्तने मारवा, लाख नां मंदिर कीध ॥ हे रा० ॥ चुन्नणीयें निज पुत्रने, स्वहस्तें वन्दि दीध ॥ हे रा ॥ २५ ॥ धि० ॥ पायुं रक्तनुजात, खवराव्यु नरमांस ॥हेरा० ॥ ते जितशत्रुने राणी, नाख्यो जलधिमें तास ॥ हे रा॥ २६ ॥ धि० ॥ नारी न होवे आपणी, वानां जो करिये लद ॥ हे रा ॥ दूधने मांग दो नामिनी, देखाडे परतद ॥ हे रा० ॥२७॥ धि० ॥ मोह देखा डी दगो करे, स्त्रीनो ने ए ढंग ॥ हे रा॥ ते माटेतु में राजवी, म करो परस्त्री संग ॥ हे राम् ॥ २॥ धि० ॥ इणि परें नृपने मंत्री, दाख्या के दृष्टांत ॥ हे रा० ॥ पण नृपर्नु मन नवि मले, वसंतसिरी चित्त आंत ॥हे रा॥२॥धि॥मन लागुंजेह उपरें, विसामु नवि जाय ॥ हे रा॥ मोहनी मदिरा डाकमां, उप देश नावे दाय ॥ हे रा० ॥ ३० ॥ धि०॥ लब्धि बी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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