SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 49
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (४७) नी रे॥ विरहानलनी बाफ, जेहने रहि तन व्याप ॥श्रा० ॥ ते शीतल रमणी करे ॥ २४ ॥ श्म चिंती मनमांहे, सना समद नबाहे ॥ था ॥ मेहर मंत्री श्म नणे ॥ नृपने रोग न काय ॥ फोगट कीधा उपा य॥श्रा० ॥ जाण प्रवीणने अवगुणे ॥ २५॥ यां ख, उषध कान, की, तेम निदान ॥ या ॥ सिम साधक मूरख मल्या ॥ अंतरगतनी पीड, कामज्वर नी रीड ॥आ॥ ते कुणे नवि अटकल्या ॥ २६ ॥ जे लहे शास्त्र विचार, होवे जे गुरु मुख सार ॥या॥ ते जाणे सघली कला ॥ शुं करे चिकित्सा कर्म, न जा णे शास्त्रनो मर्म ॥ था॥ ते करे बाराने बाकला ॥ २७ ॥सना विसर्जी ताम,सदु पोहोता निज धा मा०॥ मंत्री दवे वैदूं करे ॥ बीजा उन्नासनी ढाल, पहेली कही उजमाल ॥ आ० ॥ लब्धिविज य श्म उच्चरे ॥ २७ ॥ आ० ॥ इति ॥ ॥दोहा॥ ॥ हवे मेहर मंत्रीसरु, लोकोने दे शीख ॥ नृप नी पीडा टालवा, बेठो याद नजीक ॥ १ ॥कामा तुर नृपने लही, सचिव करे उपचार ॥ राणी संघ ली तेडीयो, शोल सजी शणगार ॥ ॥ रम जम क Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy