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________________ (२५६) हवे जयदेवना घरथकी, साहामी ने एक पोल ॥ तेहमें दो बसे वाडवा, सुदेव जूदेव उल ॥ ॥ साढ़ थपासें वसे, सुदेव नूदेव नह ॥ खंमा स्त्री सुदें वनी, विशाखा नूदेवनी गट्ट ॥३॥ ते दो नारीने थयो, पूर्वकर्म संयोग ॥ दाघ ज्वर बलतर तणो, उप नो तेहने रोग ॥४॥ तव ते चिकित्सा जणी, तेड्या बदु वैद्यराज ॥ पण टेकी लागे नही, कोन सरीयु काज ॥ ५ ॥ तव सुदेव नूदेव विप्र दो, मनझुं कीध विचार ॥ किम वहेशे घरणी विना, किम वहेशे घर जार ॥६॥ म दो विप्र विचारीने. बीजी परण्या नार ॥खंमा विशाखा दो प्रिया, मूकी पीयर सार ॥ ७॥ परहरी दो स्त्री रोगिणी, जुमा थया दो विप्र ॥ जिम मांखी. घृतमें पडी, काढी नाखे नि ॥॥ ते स्थिति करिश्ण वाडवें, नवि शोच्या ते लगार ॥ नवि बिही ना कहोनाथकी, नवि बिहिना किरतार ॥ ए ॥ मद वाया दो विप्र ते, न करी सार संजाल ॥ तव दो स्त्री ते रोगिणी, तेहने उपनी काल ॥१०॥क्रोध वों दो रोगिणी, दे दो पतिने शाप ॥ तुमें दो अम पातें पडी, लेहजो तुमें संताप ॥ ११ ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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