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________________ (१५) माने मुजने,करि परमेसर गय ॥३॥ तेमाटे हरिबल तुमें, कहेजो नृपने एम ॥ एक वार मुज मंदिरें,आवो ज्युं करि तेम ॥ ॥ जो सेवक साचो दुवे, तो ले नगरी साथ ॥ शीघ्रगते तुम आवजो, मदनवेग महि नाथ ॥ ५॥ मुफ मंदिरनी रसवती, कबुल करेशो आय ॥ तव तुम मंदिर चाहिने,आवीअमें धाय॥ ॥६॥ एह संदेशो अम तणो, हरिबल कहेजो तु म्म ॥ तुम नृपने अम तेडवा, मूकुं ए नृत्य अम्म ॥ ७ ॥ वलि तुमें शाता पूजो, कहेजो अम्म जु हार॥जो आशा करो अम तणी,आवजो सर्ग मकार ॥॥ एम कही सनमानिने, पहेरावी शणगार ॥ वो लावी अमने वव्या, यमराजा हितकार ॥णा देव प्र जावें ततखिएँ, जोतां एक पलक्क ॥ तुम पासें अमें आविया, जोई सर्ग हलक्क ॥१०॥ यमनृपनो ए नृत्य , आसोम नामें सनूर ॥ आमंत्रण करवा नणी, याव्यो तुम्म हजूर ॥११॥ इणिपरें हरिबलें मामीने, कह्या संदेशा जाम ॥मदनवेग राजी थयो, ते निसुणी अनिराम ॥ १५॥ तिणे अवसर तक जोश्ने, सुरने कीधी शान ॥ सुर बोल्यो जमनो थर, सांजलो तुमें राजान॥१३॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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