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तव में ए दाऊ काढी परी ॥ ८ ॥ तु० ॥ मुऊ यागल हवे किहां जाशो, तुम करणी तुमेंहिज पाशो, मा क घणुं थाशो रे, जिम तस्कर संधि मुखें ग्रहे ॥ जो मुऊने करशो राजी, तुम राखिश होनिश ता जी, रहेशो तुमें गाजी रे, गंजी मुफ चित्तशुं वहे ॥ || || तु । यहि यागें मेडकुं जेते, हरि यागें मृग जाय केते, जाय कहो केतें रे, बाऊ खागें चडकली दोडीने ॥ ति म तुमेंहीज नामिनी जोली, तुमें रहेशो यांख्यो चोली, जाशो किहां रोजी रे, मुऊ यागलें िंग ते बोडीने ॥ १० ॥०॥ तव कुमरी जांखे बोल, नृप दीसो बो फूटा ढोल, निगुण निटोल रे, वडा दीसो बो कोई तुमें ॥ क हे कुमरी रीषें नंनेरी, जिम कूदे कही वळेरी, नाखुं नस वेरी रे, नरपतिजी बुं अबला में ॥ ११ ॥ तु ॥ के चुं नृप दियडो फूटो, के शुं तुम जगदीश रू ठो, के शुं कां खूटो रे, तुम सासोसास हतो जिके ॥ तुमें शुं नृप आप वखाणो, तुमें अबलाएं मत ताणो, अबलाथी जागो रे, के हाखा नर बलीया तिके ॥ १२ ॥ तु ॥ तुमें सुलो परदेशी राजा, जे हनी हती महोटी माजा, तेहनी ते नार्या रे, सूरीकं तोयें नख देश दयो || वली जितशत्रु महिनाथ, हतो
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