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(१३) नरक मकार ॥ स॥१॥ह ॥ माता पितादिक बंधवा, पामे वियोग ते मंद ॥ स ॥ दालिइ दोहग नवि टले, मले न वन्ननवंद ॥ स ॥ २० ॥ ६ ॥ हेम दिये को दिन प्रतें, देवे को दान सुपात्र॥स॥ तेहथी दश गणो लान , जीवजतन करे गात्र ॥ स० ॥ १॥ ह ॥ श्म उपदेश ते सांजली, बोले मडी तिवार ॥ स० ॥ शुं करीयें अमें साधुजी, अम कुल आचार स० ॥ २२ ॥ ह ॥ धीवर कुलें आ वी पड्या, क्यां रहे गुरुनुं ज्ञान ॥ स० ॥ आजी विका ए पेटनी,दीधी करमें निदान ॥स॥२३॥॥ ॥ पण गुरुजी तुम वचनथी, आजथी में पण लीध ॥ स० ॥ पहेली जालमां जीव जे, तेहने में जीवित दीध ॥ स० ॥ २४ ॥ ४० ॥ इणि परें अनि ग्रह ादरी, हरिबल वलियो ताम स॥ मुनि पण ईर्ष्या शोधता, पहोता बीजे गम ॥स ॥२॥ह॥ हलुया करमी जीव जे, तरत लहे उपदेश ॥ स॥ जारे करमी जीवडा,माने नही लवलेश॥स ॥२६॥ ह० ॥ पापीने प्रतिबोधतां, पत पोतार्नु जाय ॥ स० ॥ टपलो सराणे चडावायें, आरसी नाव थाय॥सा ॥ २७ ॥ ह ॥ दरिबलनी परें प्राणीया, गुरुमुखें
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