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(१०) केशर बाटणां,हीज करेह विशालासोहव सवि टोलें म ली,गावे गीत रसाल ॥ ॥ घर घर गूडी नहले, घर घर शेणी माल ॥ घर घर तोरण बांधीयां, दीसे का क ऊमाल ॥३॥ नृत्य करे नटुवा नला,खेले नवनव खेल ॥ बंदीजन मूक्या परा, उपजावे रंगरेल ॥ ४ ॥ इम बव करतां थकां, वोट्या दिन ते बारानगरीजन सदु पोषीया, देई मिष्ट आहार ॥ ५ ॥ निज कुटुंब मेली करि, पुत्री नाम वीज ॥ सुपन तणा अनु सारथी, वसंतसिरी ते कहीज ॥ ६ ॥ कुमरी ते दिन दिन वधे,ज्यु वधे श्छदंम॥ चंकलाजिम बीजथी,वाधे तेज अखंम॥ ७ ॥श्म करतां वधती थइ, पंचवरसनी बाल ॥ गुनलन लेई करी, लइथापी नीशाल ॥ ७ ॥ खटदरशननां शास्त्र जे, तेहमां थई प्रवीण॥रंग राग ना टक कला, यंत्रवाजिब मिलीन ॥ ए ॥ षट नाषा लह ती मुखें, चोशठ कलानिधान।अनिनव जाणे शारदा, प्रगट थर सावधान ॥ १० ॥श्म करतां ते अनुक्रमें, वरस थयां जब शोल ॥ नवयौवन नारी तणा,उलट्या काम कलोल ॥११॥ मात पिता हरखे घj,पुत्री देखी ॥ रतन्ना वरनी चिंता चित धरे, करतां कोटियतन्न ॥
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